विश्व शांति महायज्ञ में हो रही है मंत्रो के साथ आहूति समर्पित
अशोक नगर। लोक कल्याण की भावना जव बन रही थी तो स्वर्ग के देवता भी पुष्ट वृष्टि कर वर्षा की झड़ी लगा रहे हैं हम अपने जीवन को उज्जवल बनाये के साथ संसार के सुखी रहने की कामना कर रहे हैं महोत्सव से विश्व शांति महायज्ञ की वर्गणाये जहां तक जायेगी वहां के जीव सुख की अनुभूति करे ऐसी सभी की भावना है प्रवचन के माध्यम से हम भी लोक कल्याण का उपदेश दिया करते है संत जन तो हमेशा ही हर क्षण लोक कल्याण की भावना भाते हैं आप लोगो ने महा मंडल बना कर वृहद मंत्रोचार के साथ भावनात्मक रूप से यहां आराधना की है करते रहना चाहिए उक्त आश्य केउद्गार सुभाष गंज मैदान में चल रहे लोक कल्याण महा मंडल विधान की सभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री आर्जव सागर जी महाराज ने व्यक्त किए।
भगवान की आराधना करके लोक कल्याण की भावना भा रहे हैं
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि देश भर में श्रावक संस्कार शिविर की तरह हमारे यहां भी भव्य आयोजन होगा । शैलेन्द्र श्रागर ने बताया कि सभी फार्म भर उसमें शामिल हो सकते हैं। आज लोक कल्याण महा मंडल विधान में हम यहां नित्य भगवान की महा आराधना के साथ लोक कल्याण की भावना भा रहे हैं आज सौधर्म इन्द्र बनकर महा पूजा का सौभाग्य निर्मल कुमार मुकेश कुमार नीरज कुमार पंसारी चक्रवर्ती बनकर सुनील कुमार सुमत कुमार अखाई वहीं सौधर्म इन्द्र जोड़ी अमृत लाल लालू लाल मेहता सूरत के साथ श्रावक श्रेष्ठी अनिल कुमार जैन का सम्मान समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल महामंत्री राकेश अमरोद प्रमोद मंगलदीप राजेन्द्र अमन मेडिकल शैलेन्द्र श्रागर संजय के टी सहित अन्य सदस्यों ने सम्मान किया इस दौरान युवा वर्ग संरक्षण शैलेन्द्र श्रागर ने कहा कि जिन्हें भी महा महोत्सव में द्रव्य समर्पित करना है। वे अपने नाम दे आपके द्वारा दिए गए श्री फल यहां मंडल पर समर्पित किए जायेंगे
मानव कल्याण के लिए जंगलों में रहकर आचार्यो ने शास्त्रो की रचना की। धर्म सभा में आचार्य श्री ने कहा कि हमारे आचार्यों ने जंगलो में 7बैठ कर जगत के जीवों के कल्याण के लिए हजारों ग्रन्थों की रचना की आजादी के पहले हमारे देश से समंदा के साथ हमारे ग्रान्थो को ले गये आज भी वे विदेशों की लाइब्रेरी में रखी है इन ग्रंथों में मानवता के कल्याण का दिव्य सन्देश लिखा गया है आज विश्व को इन सन्देश की आवश्यकता महसूस की जा रही है । अभी दिल्ली में दुनिया भर के नेता जुटे थे और उन्होंने भी मानव कल्याण के भारतीय दर्शन की वातो को सुना और महसूस किया ऐसे महान संतों को हम जब पढते हैं तो हमारे जीवन में भी सहजता सरलता आतीं हैं।
बहुत ज्यादा धर्म करने की आवश्यकता नहीं है भावों की पवित्रता जरूरी है
उन्होंने कहा कि बहुत ज्यादा धर्म करने की आवश्यकता नहीं है आपके भाव पवित्र और पावन होना चाहिए। शिव भूति मुनि महाराज ने जगत को बता दिया कि बहुत ज्ञानी त्याग होने की जरूरी नहीं है बस जरुरी है अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने के साथ संयम की साधना करते हुए धर्म ध्यान करते रहते हैं अनेकांत सयद्वाद के साथ अपनी बात को रखना चाहिए बहुत भक्ति अंतरंग से करें कषायो, क्रोध और मान को कम करें जिनवाणी की भक्ति प्रवचन की भक्ति जो करेगा आज का ज्ञान विस्मृत भी हो जाए तो चिंता मत करना जब योग बनेगा तो आपको सब याद आ जायेगा।