भीलवाड़ा। दान धर्म का अंग है।बुधवार को अहिंसा भवन मे पयूर्षण महापर्व के द्वितीय दिवस महासती प्रितीसुधा ने हजारों श्रध्दांलूओ और पयूर्षण मे तप करने वाले श्रावकों श्राविकाओं को सम्बोधित करतें हुए कहा कि दान अगर उचित स्थान पर उचित व्यक्ति को दान हम करते है तो वह दान हमे संसार से तिराने का बिजारोण करता है। दान करते समय हमारी भावना कैसी वह महत्व रखती है। भावना हमारी शुध्द नहीं है तो दान का फल हमे नहीं मिलने वाला है।दान देने से इंसान मे परिग्रह करने की प्रवृत्ति नहीं आती। मन में उदारता का भाव रहता और उसके विचारों में शुद्धता आती है,और मोह, लालच खत्म हो जाते है। दान करने से हम न सिर्फ दूसरों का भला करते हैं, बल्कि हम अपने व्यक्तित्व को भी निखारते हैं जब हम दान बिना किसी स्वार्थ भाव के करते हैं तो उस सुख का अनुभव हमें आत्म संतुष्टि प्रदान करता है और वो दान सुपात्र दान बन जाता है और हमारे जीवन को पवित्र बनाकर आत्मा की शुध्दी कर देता है। साध्वी संयम सुधा ने अंतगडसा सूत्र वांचना करते हुए बताया कि दान देने से घटता नहीं बढ़ता है। और मनुष्य पुण्य का संचय करके अपनी पुण्यवानी को बढ़ा सकता है। अहिंसा भवन शास्त्री नगर के मार्ग दर्शक अशोक पोखरना और अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बाबेल ने बताया पयूर्षण पर्व के दुसरें दिवस शहर के अनेक उपनगरों के श्रीसंघो के पदाधिकारियों एवं हजोरो श्रावक-श्राविकाओं के साथ अहिंसा भवन के मीठ्ठालाल सिंघवी,नवरतन बम्ब,राजेन्द्र चीपड़,हेमन्त आंचलिया,सुशील चपलोत,कूशल सिंह बूलिया, हिम्मतसिंह बापना,सरदारसिंह कावड़िया,जतन जैन,सुंदरलाल बापना, लक्ष्मण सिंह पोखरणा, ओमप्रकाश सिसोदिया,अमरसिंह संचेती तथा महिला मंडल की अध्यक्षा नीता बाबेल रजनी सिंघवी,संजूलता बाबेल,उमा आंचलिया,मंजू बाफना,अंजना सिसोदिया,सरोज महता,लाड़जी मेहता आदि की उपस्थिति रही।निलिष्का जैन बताया कि दोपहर धार्मिक प्रतियोगिता मे चार सौं से अधिक बहनों भाग लिया। प्रवचन मे एवं प्रतियोगिता मे भाग लेने वाले सभी को हेमन्त उमा आंचलिया तथा ज्ञान.चन्द सिसोदिया की ओर.से प्रभावना और पारितोषिक दिये गये।
प्रवक्ता निलिष्का जैन