गुंसी, निवाई। भारत गौरव गणिनी आर्यिका 105 विज्ञाश्री माताजी ने समर्पण के बारे में समझाते हुए कहा कि – हनुमान राम को अपना बनाने के लिए भक्ति के रंग में रंग गए थे। हमारा समर्पण भी हनुमान की तरह होना चाहिए। जिस प्रकार सोना पिघलता है तो वह आभूषण बन जाता है उसी प्रकार यदि इंसान अपने अहंकार को छोड़ दे तो परमात्मा बन जायेगा। एक पत्थर ने अपना जीवन शिल्पी को समर्पित कर दिया तो वह भी मूर्ति बन गया । वैसे ही पत्थर दिल वाला इंसान अहंकार को छोड़ दे तो वह भी मूर्ति के रूप में विराजमान हो जायेगा। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ, गुन्सी के तत्वावधान में श्री 1008 शांतिनाथ महामण्डल विधान रचाने का सौभाग्य सुरेशचंद माधोराजपुरा वाले निवाई वालों को प्राप्त हुआ। विज्ञातीर्थ के परम शिरोमणि संरक्षक प्रमोद जैन जबलपुर वालों ने शांतिनाथ भगवान का प्रथम अभिषेक करने का सौभाग्य प्राप्त किया। इसी दौरान ओमप्रकाश बाकलीवाल बूंदी वालों ने जन्मदिन के उपलक्ष्य में शांतिप्रभु की शान्तिधारा सम्पन्न करायी। तत्पश्चात गुरु माँ के पाद – प्रक्षालन व शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य भी प्राप्त किया। सहस्रकूट विज्ञातीर्थ क्षेत्र पर गुरु भक्तों द्वारा आगामी 19 सितम्बर से आने वाले पर दश लक्षण महापर्व में श्री दशलक्षण महामण्डल विधान की तैयारियां चल रही है।