Saturday, November 23, 2024

सेवा करने वालों को जगत में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता हैं: आचार्यश्री आर्जव सागर जी

लोक कल्याण महा मंडल में बेठने वाले श्रावक सम्मानित होंगे: विजय धुर्रा

अशोक नगर। सेवा करने की भावना बनाये रखने के लिए लोग तत्पर रहते हैं सेवा एक बहुत बड़ा गुण है सेवा करने वालों को जगत में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है संत सेवा तो सर्वश्रेष्ठ है ही आज सोचते हैं अमुक व्यक्ति कुछ दिन पहले तो साधारण जीवन भी नहीं जी पा रहा था आज विधायक मंत्री के पद को सुशोभित कर रहा है ये कैसे हो गया तो पूर्व जन्म में आपने कभी संत जनों श्रेष्ठ जनों की सेवा की होगी उसका फल मिला और आप अचानक ही पद प्रतिष्ठा के साथ धन धान्य से परिपूर्ण हो जाते हैं इससे अलावा दीन-दुखी रोगी और पशुओं की सेवा करना भी पुण्य का कार्य है जव भी आपको सेवा का मौका मिले तो पीछे नहीं रहता उत्साह से आगे बढ़ कर संत सेवा और भी जो योग्य हो उनकी सेवा कर लेना उक्त आश्य केउद्गार सुभाष गंज मैदान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्रीआर्जवसागर जीमहाराज ने व्यक्त किए।
लोक कल्याण विधान के तपस्वी का होगा बहुमान
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि आचार्य श्री आर्जवसागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में चल रहे लोक कल्याण महा मंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ में जो श्रावक श्राविकाएं तपस्या कर रहे हैं उपवास एक आसान एक समय पानी लेकर व अन्य तपस्या कर रहे हैं उन्हें श्री दिगम्बर जैन पंचायत कमेटी द्वारा सम्मानित किया जाएगा इस हेतु अपनी तपस्या का विवरण कमेटी के महामंत्री राकेश अमरोद व प्रमोद मंगलदीप को नाम लिखा दे इस विधान में बहुत सारे लोग तप आराधना कर रहे ऐसी आराधना महान पुण्य का वंध कराती है सम्मान समारोह युवा वर्ग संरक्षण शैलेन्द्र श्रागर ने सौधर्म इन्द्र वनने का सौभाग्य प्रमोद कुमार प्रसुन कुमार मंगलदीप एवं श्रावक श्रेष्ठी संजू जैन मिर्ची का सम्मान कमेटी के अध्यक्ष राकेश कासंल महामंत्री राकेश अमरोद कोषाध्यक्ष सुनील अखाई मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा संयोजक उमेश सिघई मनीष सिघई संजय के टी दारा किया गया।
गिरने वाले ही जीवन में संभवते है
आचार्य श्री ने कहा कि क्षमा करके देखना क्षमा करके आगे बढ़ते हैं गिर कर ही उड़ते हैं गिरने वाले ही जीवन में संभवते है हम भी महान वन सकतें हैं पथ पर पड़ी मिट्टी भी कलश वन कर मानव मस्तिष्क पर सुशोभित होती है गलती करते करते मानव निखर कर हीरे की तरह चमक जाता है खदान में मिट्टी कंकरों के वीच पड़े हीरा के एक एक पहलू को सभारा तरासा जाता है तव वह चमते हुए हीरा वन राज मुकुट की शोभा बढ़ाते हैं संतान सुख के लिए हमेशा तैयार रहने वाले धर्म की वृद्धि होने दो आप लोगों को अच्छे अचार विचार को बढ़ाना है सहयोगी वने विषय भोग सच्चा सुख नहीं है एक दूसरे के सहयोगी वनों सहन शील वने क्रोध को पीना सीखें कटुक वचन मत वोल मधुर वचन जग में सुखी वनाने वाले हैं गुरु वास को वासुरी वनाने वाले हैं।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article