Sunday, September 22, 2024

जो अपनी वीणा को पहचान लेते है, उनका जीवन संगीत है, और जो इसे नही जानते उनका जीवन सिरदर्द है : तपाचार्य अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी

ऊदगाव। भारत गौरव साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा चल रहा है इस दौरान भक्त को प्रवचन में कहाँ कि जो अपनी वीणा को पहचान लेते है, उनका जीवन संगीत है, और जो इसे नही जानते उनका जीवन सिरदर्द है । तपाचार्य अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी ने अपनी जीवन वीणा को न केवल जाना पहचाना है अपितु उनकी जीवन वीणा से निःशृत अमृत मयी मधुर वचनों से आज की इस लस्ट पस्त और अस्त-व्यस्त जिंदगी को एक एक सीख दी कि, “जिद्दी मत बनिये, जिंदा दिल बनिये” रोबिले मत बनिये, रसीले बनिये । जिदा दिल और रसीले बनने के लिये हमारे जैसे विचार होते हैं, वैसी हमारी प्रवृति होती है। जैसी प्रवृत्ति होती है, वैसा हमारा व्यवहार होता है और जैसा हमारा व्यवहार होता है वैसा हमारा जीवन बनता है। इसलिये बेहतर साबित करने से कोई लाभ नही, लेकिन बेहतर बनने की कोशिश जरूर कीजिये अन्तर्मना ने कहा- बेहतर बनने के लिये में परेशानिया आयेंगी असफलता भी हाथ लगेगी। उस समय प्रतिकूलताओं से घबराओ मत, प्रतिकूलता को अनुकूलताओं में परिवर्तित करो और इसके बात जीवन में कैसी भी विषमता क्यों न आये हताशा को अपने चिञ पर हावी न होने दो और और यदि हम यह अपने जीवन में घटीत कर सके तो तो मनुष्य के विश्वास और पुरुषार्थ और अपने धर्म और कमॅ से अपने हाथों की लकीरों को परिवर्तित कर सकता है।
संकलन : पीयूष कासलीवाल नरेंद्र अजमेरा

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article