Saturday, September 21, 2024

कमर दर्द , सर्वाइकल और देशी चारपाई का संबंध जानें…

हमारे पूर्वज वैज्ञानिक थे।

सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है। हमारे पूर्वजों क्या लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे ? वे भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे। डबल बेड बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं। चारपाई भी भले कोई साइंस नहीं है , लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके। चारपाई बनाना एक कला है। उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है।

जब हम सोते हैं , तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है ; क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं। पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की झोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है।

दुनिया में जितनी भी आरामदायक कुर्सियां देख लें , सभी में चारपाई की तरह झोली बनाई जाती है। बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपडे की झोली का था , लकडी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया गया है। चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द का दर्द कभी नही होता है। दर्द होने पर चारपाई पर सोने की सलाह दी जाती है।

डबलबेड के नीचे अंधेरा होता है , उसमें रोग के कीटाणु पनपते हैं , वजन में भारी होता है तो रोज-रोज सफाई नहीं हो सकती। चारपाई को रोज सुबह खड़ा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सूरज का प्रकाश बहुत बढ़िया कीटनाशक है। खटिया को धूप में रखने से खटमल इत्यादि भी नहीं लगते हैं।

अगर किसी कोई डॉक्टर Bed Rest लिख देता है तो दो तीन दिन में उसको English Bed पर लेटने से Bed -Soar शुरू हो जाता है । भारतीय चारपाई ऐसे मरीजों के बहुत काम की होती है । चारपाई पर Bed Soar नहीं होता क्योकि इसमें से हवा आर पार होती रहती है ।

गर्मियों में इंग्लिश Bed गर्म हो जाता है इसलिए AC की अधिक जरुरत पड़ती है जबकि सनातन चारपाई पर नीचे से हवा लगने के कारण गर्मी बहुत कम लगती है ।

बान की चारपाई पर सोने से सारी रात Automatically सारे शारीर का Acupressure होता रहता है ।

गर्मी में छत पर चारपाई डालकर सोने का आनद ही और है। ताज़ी हवा , बदलता मौसम , तारों की छाव ,चन्द्रमा की शीतलता जीवन में उमंग भर देती है । हर घर में एक स्वदेशी बान की बुनी हुई (प्लास्टिक की नहीं ) चारपाई होनी चाहिए।

भारतीय पूर्वजों की सोच और समझ को मेरा सैल्यूट हैं।

डाॅ. पीयूष त्रिवेदी, एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ

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