दूसरों के अवगुणों से रहे दूर, गुणों को करें जीवन में स्वीकार- समीक्षाप्रभाजी म.सा.
रूप रजत विहार में महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में जन्माष्टमी पर विशेष प्रवचन
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। जब भी धरती पर अन्याय बढ़ता है तो उसे समाप्त करने के लिए भगवान इस धरा पर प्रकट होते है। पूरा विश्व जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को याद करता है जिन्होंने अत्याचार करने वालों को समाप्त कर इस धरा पर धर्म का राज कायम किया। भक्त बुलाते है तो भगवान अवश्य आते है। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में गुरूवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने जन्माष्टमी के अवसर पर प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ी कथा सुनाते हुए कहा कि कृष्ण के विविध नाम थे जिनमें एक नाम मधुसूदन भी है। मधुसूदन ने गायों की रक्षा करने के साथ असहाय मानव का भी कल्याण किया। उनके जन्म पर पूरे गोकुल में उल्लास के माहौल में जन्मोत्सव मनाया गया। उन्होंने जन्माष्टमी पर उपाध्याय मुनि श्री कन्हैयालाल कमल का जन्मदिवस होने से उनका भी गुणानुवाद करते हुए कहा कि जिनशासन की सेवा के लिए समर्पित ऐसे संत धर्म का गौरव बढ़ाते है। धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि जिनवाणी हमारे दुःख को सुख में बदल देती है। त्याग, सहनशीलता व मानवता के गुण ही व्यक्ति को महान बनाते है। धन से आज तक कोई महान नहीं बन पाया। जिनमें मानवीय गुण नहीं है वह मानव नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में गुणों का संग्रह किया। कृष्ण एक रूप अनेक है। वह स्वार्थी नहीं सारथी यानि सहयोगी बने। जीवन में सहयोग करने वाला ही आगे बढ़ता है। जैनियों के पास 63 ऐसे श्लाधय (महान) पुरूष है जिनके गुणों को अंगीकार करने पर जीवन सफल हो सकता है। साध्वीश्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद् भागवत की रचना कर कर्म सिद्धांत को प्रतिपादित किया। अपने कर्मो से हम दूर नहीं भाग सकते है। हमारे में दिखावट, मिलावट व सजावट होने से गिरावट आई है। गुण अवगुण में बदले तो गिरावट ओर अवगुण गुण में बदल जाए तो उपर उठेंगे। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेकर हमे परावलम्बी नहीं बल्कि स्वावलम्बी बनना है। धर्मसभा में तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। उनके जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर हम अपना भी जीवन सुधार सकते है। जीवन में आत्मकल्याण तभी हो सकता जब हम दूसरों के अवगुणों को देखने की बजाय उसके गुणों को देखे। हम दूसरों की बुराईयों को नकारते हुए अच्छाईयों को ग्रहण करने का प्रयास करें। जो भी भक्त सच्चे मन से पुकारता है उसके पास भगवान अवश्य आते है। हमारी आराधना में दिखावा अधिक होने ओर भक्ति कम होने पर वह सार्थक नहीं हो सकती। आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. ने जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में भजन ‘‘जरा इतना बता दे कान्हा तेरा रंग काला क्यों’’की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा किया गया। धर्मसभा में भीलवाड़ा शहर एवं आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा ने बताया कि चातुर्मासिक नियमित प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 10 बजे तक हो रहे है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना का आयोजन हो रहा है। प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र जाप हो रहा है।
कान्हा, राधा ओर सुदामा वेश में आए बाल गोपाल
जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर रूप रजत विहार में 3 से 13 वर्ष तक के बच्चों के लिए सुबह प्रवचन के बाद फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए बच्चों ने उत्साह दिखाया। बच्चें अपने माता-पिता के साथ भगवान कृष्ण, सुदामा, राधा, गोपी सहित भगवान कृष्ण के जीवन चरित्र से जुड़े विभिन्न पात्रों की वेशभूषा धारण करके पहुंचे थे। कई बाल गोपाल मां की अंगुली पकड़ वहां पहुंचे। सिर पर मोरपंख लगाए ओर हाथ में बांसुरी लिए ऐसे बाल गोपाल लोगों का मन मोह रहे थे। कुछ बच्चों ने जन्माष्टमी की बधाई देते हुए मन के भाव भी व्यक्त किए। प्रतियोगिता में प्रथम प्रज्जवल जैन, द्वितीय आर्यन जैन एवं तृतीय वीर कोठारी रहे। विजेताओं को श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा पुरस्कृत किया गया। सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार दिए गए।
पर्युषण में होगी तपस्या ओर नवकार महामंत्र की आराधना
रूप रजत विहार में 12 से 19 सितम्बर तक मनाए जाने वाले पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की तैयारियां जारी है। पर्युषण अवधि में रूप रजत विहार स्थानक में अखण्ड नवकार महामंत्र जाप का आयोजन होगा। श्रावक-श्राविकाओं को अपनी सुविधानुसार प्रतिदिन एक-एक घंटे का समय जाप के लिए देने की प्रेरणा दी जा रही है। पर्युषण में प्रतिदिन सुबह 8.30 बज से अंतगढ़ सूत्र का वाचन होगा। पर्युषण अवधि में तपस्या ओर सामायिक के लिए डायमण्ड, गोल्डन व सिल्वर कूपन भी जारी किए जाएंगे। इसके तहत पर्युषण में उपवास की अठाई पर डायमण्ड, आयम्बिल की अठाई पर गोल्डन व एकासन की अठाई पर सिल्वर कूपन मिलेगा। इसी तरह पर्युषण अवधि में 108 सामायिक पर डायमण्ड, 81 सामायिक पर गोल्डन एवं 51 सामायिक पर सिल्वर कूपन मिलेगा। प्रत्येक श्रावक-श्राविका कोई न कोई कूपन अवश्य प्राप्त करें इसकी प्रेरणा साध्वीवृन्द द्वारा दी जा रही हैै। आठ दिन संवर ओर पोषध करने की भी प्रेरणा दी जा रही है।