शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा ने लिया आशीर्वाद
मनोज नायक/भिण्ड। जीवन में संगति हमेशा उच्च लोगों की, बड़े लोगों की करना चाहिए । आपकी जैसी संगति होगी, आप जैसे माहोल में रहेंगे, आप स्वय भी वैसे ही बनते चले जायेगे। इसीलिए अपने आसपास का माहोल और मित्रादि सोच समझकर चुनना चाहिए। जीवन में आप जितने व्यवस्थित व्यक्ति से मिलेंगे, बोलेंगे, उसके साथ रहेंगे, आप भी उतने ही व्यवस्थित होते चले जायेगे। बड़े और अच्छे लोगों में एक नियमित बात यह होती है कि व्यवस्थित बात करते हैं। उनका खानपान, उनका रहन सहन, सभी कार्य उनकी दिनचर्या के हिसाब से सही होता है और दूसरे तरीके से देखें तो जिस व्यक्ति की ये सभी चीजें व्यवस्थित हैं, वही बड़ा व्यक्ति कहला पाता है। उक्त विचार बाक्केशरी जैनाचार्य श्री विनिश्चयसागर महाराज ने ऋषभ सत्संग भवन में दंपत्ति सेमीनार के दौरान उपस्थित दंपतियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। पूज्य गुरुदेव जैनाचार्य ने माहोल और संगति के संदर्भ में प्रकाश डालते हुए कहा कि जैसे मैं जैन मुनि हूं, तो मेरी एक आचार संहिता है। जितने भी दिगम्बर मुनि, साधु – संत हैं, सबकी दिनचर्या नियमित (फिक्स) होती है। जैन मुनियों का जो संविधान है, जो नियमावली है, जैसा आगम में, शास्त्रों में लिखा है, वह उसी के अनुसार चर्या करते हैं । इसी तरह आपके जीवन में, आपके परिवार में दिनचर्या नियमित होनी चाहिए। सभी अपने अपने घरों में नियमावली बनाकर लगाएं कि पत्नी को क्या करना हैं, बच्चों को क्या करना हैं, बड़ो के साथ कैसा व्यवहार करना हैं। सभी सदस्य कितने बजे सोएंगे, कितने बजे जागेगें, कितने बजे तक घर से बाहर रहेंगे। जो नियमावली आप तैयार करें, उसी के अनुसार सभी अपनी दिनचर्या करें। जिस घर में नियमावली के अनुसार दिनचर्या होगी, वह घर नहीं, मंदिर बन जायेगा और वह परिवार एक आदर्श परिवार कहलाएगा। आचार्य श्री ने कहा कि जैन सेमीनार का यह पांचवा सत्र आप लोगों को कुछ नियम धारण करने का संकेत देता है। जैन सिद्धांत के अनुसार पांच अणुव्रतों का पालन करना चाहिए।