ज्ञानदाता गुरू इस जगत में हमारे सबसे बड़े हितेषी: चेतनाश्रीजी म.सा.
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। हमारा भला-बुरा किसमें है ये समझने के लिए हमे अपनी आत्मा को जागृत करना होगा। आत्मजागृति के बिना हम आत्मकल्याण भी नहीं कर सकते है। मोक्ष प्राप्ति की राह में सबसे बड़ी अड़चन हमारे मन में राग-द्वेष भरा होना है। इनको मिटाए बिना मोक्ष नहीं मिल सकता। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में बुधवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवान को वश में करने के लिए भक्त की भक्ति चाहिए। भक्ति सच्चे भाव से की जाए तो भगवान भक्त की हर इच्छा पूरी कर देते है। केवल ज्ञान की प्राप्ति हो जाना मोक्ष का द्वार खुलने के समान है। साध्वीश्री ने कहा कि सभी कषायों का त्याग कर समभाव में आने पर ही केवल ज्ञान प्राप्त हो सकता है। तिर्यंच में अच्छे भाव आ जाए तो वह भी आठवे देवलोक तक जा सकता है ओर साधु के भी भाव बिगड़ जाए तो वह भी तिर्यंच में जा सकता है। इसलिए हमारे भाव हमेशा पावन एवं पवित्र होने चाहिए। उन्होंने जैन रामायण का वाचन करते हुए भी विभिन्न प्रसंगों से जुड़ी चर्चा की। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने कहा कि इस जगत में आपके सर्वाधिक हितेषी ज्ञानदाता गुरू ही होते है। गुरू कभी शिष्य को ज्ञान देने में कंजूसी नहीं करता है। ज्ञान लेना ही महत्वपूर्ण नहीं बल्कि उसे किस तरह अपने जीवन में उतार रहे है यह भी महत्व रखता है। विवेक से कार्य करेंगे तो कर्मबंधन नहीं के बराबर होंगे। उन्होंने कायोत्सर्ग की चर्चा करते हुए कहा कि इससे कर्म निर्जरा हो सकती है। हमे पैदल चलते समय या वाहन चलाते समय भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जीवों की विराधना कम से कम हो। जीवों की रक्षा करके हम अपने पाप कर्म क्षय करने के साथ पुण्यबल बढ़ा सकते है। आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. ने शुरू में प्रेरणादायी भजन की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा., तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. आदि का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा किया गया। धर्मसभा में भीलवाड़ा शहर एवं आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा ने बताया कि चातुर्मासिक नियमित प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 10 बजे तक हो रहे है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना का आयोजन हो रहा है। प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र जाप हो रहा है।
जन्माष्टमी पर आज बच्चों के लिए फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता
जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर रूप रजत विहार में गुरूवार को 3 से 13 वर्ष तक के बच्चों के लिए सुबह 10 बजे फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। इस प्रतियोगिता में बच्चें भगवान कृष्ण, सुदामा, गोपाल, राधा, गोपी सहित भगवान कृष्ण के जीवन चरित्र से जुड़े पात्रों की वेशभूषा धारण करके आ सकेंगे। प्रतियोगिता में प्रथम तीन स्थान पर रहने वाले बच्चों को श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा।
पर्युषण में होगा अखण्ड नवकार महामंत्र जाप
रूप रजत विहार में 12 से 19 सितम्बर तक मनाए जाने वाले पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की तैयारियां जारी है। पर्युषण अवधि में रूप रजत विहार स्थानक में अखण्ड नवकार महामंत्र जाप का आयोजन होगा। श्रावक-श्राविकाओं को अपनी सुविधानुसार प्रतिदिन एक-एक घंटे का समय जाप के लिए देने की प्रेरणा दी जा रही है। पर्युषण अवधि में तपस्या ओर सामायिक के लिए डायमण्ड, गोल्डन व सिल्वर कूपन भी जारी किए जाएंगे। इसके तहत पर्युषण में उपवास की अठाई पर डायमण्ड, आयम्बिल की अठाई पर गोल्डन व एकासन की अठाई पर सिल्वर कूपन मिलेगा। इसी तरह पर्युषण अवधि में 108 सामायिक पर डायमण्ड, 81 सामायिक पर गोल्डन एवं 51 सामायिक पर सिल्वर कूपन मिलेगा। प्रत्येक श्रावक-श्राविका कोई न कोई कूपन अवश्य प्राप्त करें इसकी प्रेरणा साध्वीवृन्द द्वारा दी जा रही हैै।