Sunday, November 24, 2024

पडौसी के सुख में अपना सुख खोजें: गुरु माँ विज्ञाश्री माताजी

गुंसी, निवाई। गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ने धर्मसभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को धर्मोपदेश देते हुए कहा कि – कभी-कभी हम अपने सुख के लिए दूसरों को दु:खी कर देते हैं और उसका सुख छीनने का प्रयास करते हैं। क्या यह प्रवृत्ति मानवता की परिधि में आती है ? माताजी ने कहा – मानव प्रकृति है कि सुख सभी चाहते हैं सुख की परिभाषा भी लोगों को अपनी-अपनी तरह से अलग – अलग है । हम वास्तविक रूप से तभी सुखी होंगे जब हम पड़ोसी के सुख में अपने सुखों को खोजें। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ , गुन्सी में गुरु माँ के ससंघ सान्निध्य में श्री 1008 शांतिनाथ महामण्डल विधान रचाने का सौभाग्य टीकमचंद अजमेरा भोगादीत वाले दूदू वालों ने प्राप्त किया । 120 अर्घ्यों के साथ मंडल पूजा का समापन हुआ । इसी अवसर पर शांतिप्रभु की अखण्ड शान्तिधारा करने का सौभाग्य जयकुमार अजमेरा चौमूंबाग जयपुर , मुकेश मोना चौमूंबाग जयपुर , सुरेंद्र पाटनी विवेक विहार जयपुर वालों को प्राप्त हुआ । तत्पश्चात भगवान की मंगलमय आरती की गई ।

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