सुनिल चपलोत/चेन्नई। दान धर्म का अंग है। सोमवार साहूकार पेठ एस.एस.जैन भवन मे महासती धर्मप्रभा ने श्रध्दांलूओ को संबोधित करतें हुए कहा कि दान अगर उचित स्थान पर उचित व्यक्ति को दान हम करते है तो वो दान हमे संसार से तिराने का बिजारोण करता है । दान करते समय हमारी भावना कैसी वो हमारे महत्व रखती है। भावना हमारी शुध्द नहीं है तो दान का फल हमे नहीं मिलने वाला है।दान देने से हममें परिग्रह करने की प्रवृत्ति नहीं आती। मन में उदारता का भाव रहता और हमारे विचारों में शुद्धता आती है। और हमारे मे मोह और लालच नहीं रहता।दान करने से हम न सिर्फ दूसरों का भला करते हैं,बल्कि हम अपने व्यक्तित्व को भी निखारते हैं। जब हम दान बिना किसी स्वार्थ के करते हैं तो उस सुख का अनुभव हमें आत्म संतुष्टि प्रदान करता है और वो दान सुपात्र दान बन जाता। साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा कि संसार ऐसे दरिद्र इंसान भी है जिसके पास कुछ भी नहीं फिर भी वह दान देते है लेकिन जिनके पास अर्थात धन का संग्रह फिर भी वह इंसान दान नहीं कर सकता है तो वो धनवान व्यक्ति दुनिया सबसे बड़ा भूखा और दरिद्र इंसान है। एक छोटा सा दान मनुष्य की आत्मा को तिरा देता है और उसे महान बना देता है।इंसान के पास धन होने के बावझूत वो इंसान होकर भी इंसान की मदद और सहयोग नहीं कर सकता है तो वो इंसान नहीं वह जानवर से भी ज्यादा गया गुजरा इंसान है दान छोटा और बड़ा नहीं होता है।दान,दान होता है। जब इंसान दान देता है तो उसकी भावना और प्रवृत्तिया शुध्द होनी चाहिए वो दान ही दान कहलाता है। श्री संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने बताया कि कही भाई और बहनों ने आयंबिल एकासन उपवास आदि के साध्वी वृंद से प्रत्याख्यान लिए। तथा जन्मोत्सव समारोह को ऐतिहासिक और भव्यता प्रदान करने वाले साहूकार पेठ श्री संघ के सम्पूर्ण पदाधिकारियों और एस.एस.जैन संस्कार मंच,जय संंस्कार महिला मंडल,तथा एस.एस.जैन संस्कार महिला शाखा आदि सभी को साध्वी धर्मसभा ने साधूवाद देतें हुए बधाईया दी। इस दौरान श्री एस.एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी,सुरेश डूगरवाल,हस्तीमल खटोड़, सज्जन राज सुराणा, जितेन्द्र भंडारी,महावीर कोठारी,शम्भू सिंह कावड़िया,भरत नाहर, शांतिलाल दरडा, महावीर ललवानीआदि के साथ अनेक श्रावक श्राविकाओं की धर्मसभा मे उपस्थित रहीं। धर्मसभा का संचालन महामंत्री सज्जनराज सुराणा ने किया। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर साध्वी धर्मप्रभा जी म.सा का विषेश प्रवचन होगा।