Friday, November 22, 2024

मनुष्य की बुद्धि जितनी सात्विक होगी, उसका जीवन उतना ही पवित्र बनेगा: महासती प्रितीसुधा

भीलवाड़ा। मनुष्य की बुद्धि जितनी सात्विक होगी, उसका जीवन उतना ही पवित्र बनेगा और आत्मा को मुक्ति का मार्ग मिलेगा। सोमवार अहिंसा भवन शास्त्री नगर में महासती प्रितीसुधा ने आयोजित धर्मसभा में श्रध्दांलूओ को धर्म उपदेश देतें हुए कहा कि संसार मे एक मनुष्य ही एक ऐसा जीव है जो अपनी बुद्धि के द्वारा अपनी आत्मा को संसार के जन्म मरण के चक्रव्यूह से बाहर निकाल ने की क्षमता रखता है बुद्धि धन से अधिक शक्तिशाली है।लेकिन मनुष्य अपनी बुद्धि का जीवन मे सही ढ़ग इस्तेमाल नहीं करता, वह हमेशा कष्टों में रहता है और जीवन मे सुख नही भोग पाता है। मनुष्य अपनी बुद्धि की तीव्रता और सूक्ष्मता से अपने पुरुषार्थ को बढ़ा सकता है। बुद्धि को न कोई चुरा सकता है और न ही कोई उसे छीन सकता है। बाकायदा बुद्धि ही मनुष्य के पास एक ऐसा धन है जिसका इंसान सद उपयोग करेगा तो वो संसार के समस्त सुखो भोग सकता है, और बुध्दि सही इस्तेमाल नहीं किया तो वो हमेशा जीवन मे कष्टों से निजात नहीं पा सकता है। साध्वी मधूसुधा ने धर्मसभा मे फरमाया मनुष्य के पास बुद्धि का बल है जिसकी बदौलत वह असंभव को भी संभव बना सकता है। निलिष्का जैन ने बताया की धर्मसभा मे अहिंसा भवन के अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह बाबेल,अशोक पोखरना, हेमन्त आंचलिया,हिम्मतसिंह बाफना, जतन जैन, शांतिलाल कांकरिया, संदीप छाजेड़, राजेन्द्र चीपड़, अमरसिंह संचेती, जसवंत सिंह डागलिया, अमर सिंह बाबेल, तथा महिला मंडल की रजनी सिंघवी, मंजू बापना, अंजना सिसोदिया, उमा आंचलिया,सरोज महता आदि के साथ सैकड़ों श्रावक श्राविकाओं की धर्मसभा मे उपस्थित रही। जन्माष्टमी पर साध्वी प्रितीसुधा का विषेश प्रवचन रहेगा।

प्रवक्ता निलिष्का जैन

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