गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी , जिला – टोंक (राज.) के तत्वावधान में श्री 1008 शांतिनाथ महानुष्ठान रचाने का सौभाग्य त्रिलोकचंद बाकलीवाल विजयवाड़ा (आंध्रप्रदेश) एवं ज्ञानप्रकाश लुहाड़िया अलीगढ़ वालों ने प्राप्त किया। इसी अवसर पर अष्ट द्रव्य सहित 120 अर्घ्य चढ़ाकर भक्तिभावों के साथ भगवान की आराधना की गई। शांतिप्रभु की अखण्ड शांतिधारा करने का सौभाग्य मनोज जैन प्रतापनगर जयपुर, ऋषभ जैन गौरझामर एवं संजय शशि लुहारा वाले निवाई वालों को प्राप्त हुआ। गुरु माँ विज्ञाश्री माताजी का उपवास के पश्चात का पारणा निरन्तराय सम्पन्न कराने का सौभाग्य महिला मंडल चाकसू ने प्राप्त किया।
गुरु माँ ने प्रवचन देते हुए श्रद्धालुओं से कहा कि – लौकिक सुख सांसारिक वस्तुओं से प्राप्त अस्थायी सुख है। जबकि पारलौकिक सुख ईश्वरीय होने से स्थायी सुख होता है। प्रत्येक व्यक्ति के सुख प्राप्त करने के उद्देश्य और दृष्टिकोण में भिन्नता होना स्वाभाविक है। जीवन के परम लक्ष्य सुख को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में संयम की आवश्यकता होती है। केवल संत – महात्माओं तक ही सीमित नहीं वरन गृहस्थों को भी सुखमय जीवन के लिए संयम (लाइन ऑफ़ कंट्रोल) की अत्यंत आवश्यकता होती है।