Saturday, September 21, 2024

दुश्मन तुम्हे बेईमान कहे इससे फर्क नही पड़ने वाला, तुम्हारे व्यक्ति की दृष्टि में तुम क्या हो, ये तुम्हे पहचानना है: निर्यापक मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज

आगरा। आगरा के हरीपर्वत स्थित श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अमृत सुधा सभागार में निर्यापक मुनिपुगंव श्री सुधासागर जी महाराज ने मंगल प्रवचन को संबोधित करते हुए कहा कि बुरी वस्तु, बुरे विचार,बुरे लोग सर्वथा त्याज्य होते है इनको तो अपनी जिंदगी में आने ही नही देना चाहिए क्योंकि बुरे विचार जितने आएंगे हमारा मन उतना बुरा होगा, हमारी आत्मा बुरी होगी, हमारा सबकुछ गन्दा हो जाएगा। बुरे लोगो की संगति करेगे तो उनका तो कुछ भी नही बिगड़ना, हम ही गंदे हो जायेगे।जिन लोगो को अपने आप की फिलिंग हो कि हम उच्च वर्णी है, फिलिंग हो कि हमारे विचार अच्छे है स्वयं को, दूसरे को नही। दूसरे लोग भय से, लोभ से, बेईमानी से, लोभ से गंदे आदमी को भी अच्छा कह सकते है, दूसरे की आँखे चूक सकती है हमे परखने में, इसलिए तुम स्वयं से स्वयं को परखो। निर्णय करो तुम्हारा मन कैसा है क्योंकि मन में क्या चल रहा है भगवान जानते हैं या व्यक्ति स्वयं जानता है। नोट कर लेना मेरा मन बड़ा बेईमान है, नीच है, बेईमानी करता है, गुरुओं के सामने भी बाहर से कुछ करता है| अंदर से कुछ करता है।मन्दिर में भी बाहर से कुछ दिखता है, अंदर से भी कुछ सोचता है। फैसला करो तुम्हारा मन कैसा है, तुम्हारी आँखे कैसी है। निर्णय तुम्हे स्वयं करना है। आजकल पिता को पुत्र पर, पुत्र को पिता पर तो भरोसा है नही, फिर आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी को अपने सम्यकदृष्टि पर इतना भरोसा कैसे कि मेरा सम्यकदृष्टि कभी बेईमान नही हो सकता। सम्यकदृष्टि का अर्थ है दुनिया के लिए ईमानदार नही, अपने लिए और अपनों के लिए ईमानदार बन जाना। दुश्मन तुम्हे बेईमान कहे इससे फर्क नही पड़ने वाला, तुम्हारे व्यक्ति की दृष्टि में तुम क्या हो, जो तुम्हारे घर के है, ये है कुलाचार। तुम अपने पिताजी की दृष्टि में क्या हो, तुम्हे वो क्या मानते है। कभी तुम्हारे पिता किसी दूसरे के सामने कह दे कि मैं अपनी जिंदगी को इतना भाग्यशाली नही मानता हूँ लेकिन मैं जिस बेटे का पिता हूँ मुझे उस पर गर्व है। क्या आप पर आपके पिताजी को गर्व है।तुम अपने भाई की दृष्टि में क्या हो, तुम अपनी पत्नी की दृष्टि में क्या हो, इसी तरह सभी सम्बन्धो में लगाना। क्या तुम्हारे घर मे ऐसा विश्वास है एक दूसरे का एक दूसरे पर। यदि ये कुलाचार में तुमने जीत लिया कि हमारे घर मे किसी भी आदमी से पूछ लीजिए मेरे सम्बन्ध में मेरे घर के लोगो के विचार क्या है। पहला सर्टिफिकेट लाओ धर्म के कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए, गुरु को विश्वास दिलाने के लिए,भगवान का जिनवाणी का विश्वास जीतने के लिए कि घर के लोग तुम्हे कैसा मानते है। यदि तुमने ये विश्वास जीत लिया, आज तक तो कोई जीत नही पाया क्योंकि हम सब एक दूसरे से पूछ रहे है, तुम अपने मन से बताओ। आचार्य कुन्दकुन्द की दृष्टि में अपनी छाती पर हाथ रखकर स्वयं से पूछो कि क्या तुम ईमानदार पिता हो, ईमानदार पुत्र या बेटा हो।महानुभाव कभी भी कोई व्रत या नियम भविष्य की कल्पना करने के लिए मत लेना व्रत का आनंद लेने के लिए व्रत लेना मजा आ जायेगा। पूजा करने से क्या मिलेगा मुझे वो पता नही, पूजा करने का जो आनंद है वो आनंद मुझे लेना है। तुम्हे फल में आनंद दिख रहा है लेकिन कारण में भी आनंद है, पूजा में भी आनंद है,मुनिपने में भी आनंद है, इस आनंद को व्यर्थ में क्यों छोड़ रहे है। धर्मसभा का शुभारंभ सुबोध बड़जात्या के मंगलाचरण के साथ किया| इसके बाद सौभाग्यशाली भक्तों ने संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन किया,साथ ही भक्तों ने गुरुदेव का पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंटकर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया| इस दौरान श्री दिगंबर जैन धर्म प्रभावना समिति, आगरा दिगंबर जैन परिषद एवं बाहर से आए हुए गुरुभक्तों ने गुरुदेव के चरणों में श्रीफल भेंट किया| धर्मसभा का संचालन मनोज जैन बाकलीवाल द्वारा किया । धर्मसभा में प्रदीप जैन पीएनसी,निर्मल मोठ्या, मनोज जैन बाकलीवाल नीरज जैन जिनवाणी,पन्नालाल बैनाड़ा,हीरालाल बैनाड़ा, ज‌‌गदीशप्रसाद जैन,राकेश जैन पर्देवाले राजेश जैन सेठी,ललित जैन, मीडिया प्रभारी आशीष जैन मोनू, मीडिया प्रभारी शुभम जैन,राजेश सेठी, शैलेन्द्र जैन, राहुल जैन,विवेक बैनाड़ा,अमित जैन बॉबी,पंकज जैन, मुकेश जैन अनिल जैन शास्त्री, रूपेश जैन,केके जैन, सचिन जैन,दिलीप कुमार जैन,अंकेश जैन,सचिन जैन, समस्त सकल जैन समाज आगरा के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

शुभम जैन, मीडिया प्रभारी

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