मनोज नायक/इंदौर। बड़ा गणपति स्थित मोदी जी की नसिया में आचार्य विहर्ष सागर जी महाराज ने अपनी मंगल देशना में बताया कि तत्व सात होते हैं। जीव, अजीव, आश्रव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष। आत्मा एक जीव है, शरीर एक अजीव है। जीव और अजीव पुदगल के मिलने से आश्रव उत्पन्न होता है। एक अकेलाव्यक्ति कभी बड़ा पाप नहीं कर सकता। जो व्यक्ति अकेले धर्म कर लेता है वह भगवान आत्मा बन जाता है। इस शरीर को ढकने के लिए नए-नए कपड़े चाहिए, शरीर से पेट जुड़ा हुआ है, इसलिए पेट भरने के लिए खाने पीने की जरूरत पड़ती है। जब-जब भी हम नियम तोड़ते हैं तब आश्रव होता है। हम किसी भी भगवान आदिनाथ के भक्त हो, चाहे पारसनाथ के , कर्मों को रोकने का प्रयास तो हमें स्वयं ही करना पड़ेगा। नियम तोड़ने से आत्मा को दोष लग जाता है। हमारी अज्ञानता में धर्म बदनाम होता है। धर्म का कोई चौकीदार नहीं है, इसलिए हमें डर नहीं है, हम पाप करने से डरते नहीं है। बाहर के बने पदार्थ पीजा बर्गर मोमोज, ब्रेड, मैगी यह हमारे धर्म को भ्रष्ट कर रहे हैं, क्योंकि हम अपना विवेक का उपयोग नहीं करते।
संवर सहित करो तप प्राणी, मिले मुक्ति रानी
इस दुल्हन की यही सहेली, जाने सब ज्ञानी
आगे गुरु देव कहते हैं सत्कार सम्मान सभी का करो , संग्रह किसी का मत करो। अपने आप पर निर्भर रहो, जब जब व्यक्ति लूटा है अपने खास लोगों ने ही उसे लूटा है। मंगलाचरण भिंड से पधारे रोबिन जैन संगीतकार ने किया। मंच पर मुनि श्री विजयेश सागर , मुनि श्री विश्व हर्ष सागर जी महाराज , बाल ब्र. नीतू दीदी, रीना दीदी प्रियंका दीदी भी मौजूद थी। फेडरेशन के प्रचार प्रमुख राजेश जैन दद्दू ने बताया कि प्रत्येक दिन बाहर के भक्तजन बड़ी संख्या में पधार रहे हैं। इस अवसर पर आज समाज श्रेष्ठी, ओम जैन ( प्रिंसिपल) परिवार सहित भिंड से, रमेश सेठ खंडवा से पधारे थे। चातुर्मास कमेटी के रिषभ पाटनी , कमल काला ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इंदौर से राकेश गोधा, आकाश पांड्या, दीपक बंडी,नेमी बड़कुल, मनोज सिंघई, आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।