Saturday, September 21, 2024

जो जितना ज्यादा दुःखी है वह पूर्व का उतना ही बड़ा पापी था: निर्यापक मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज

आगरा। 03 सितंबर दिन रविवार को आगरा के हरीपर्वत स्थित श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अमृत सुधा सभागार में निर्यापक मुनिपुगंव श्री सुधासागर जी महाराज ने मंगल प्रवचन को संबोधित करते हुए कहा कि इस दुनिया में अपने विचारो से उन गलियों से गुजर रहे है जो इतनी सकरी है की निकलना भी मुश्किल हो जाता है। प्रकृति के बनाये हुए नियम हमारी छोटी सी भूले हमे न जाने किस स्तर पर ले जाती है। प्रकृति निरपराधी को सजा देती नही और अपराधी को छोड़ती नही। अग्नि सावधान वाले को कभी जलाती नही और जो सावधान नही है उसे बचाती नही। प्रकृति की गलती नही है, हमारी और आपकी उद्दंडता के कारण दंड की व्यवस्था बनानी पड़ी। जो जितना ज्यादा दुःखी है वह पूर्व का उतना ही बड़ा पापी था। कोई न कोई तुमने ऐसा कार्य किया है सामने मरीज तड़फ रहा था,तुम वो एक लाख रुपये लेकर घूमने जा रहे थे,तुम्हे मालूम था एक लाख रुपये से एक माँ निपूती होने से बच जाएगा लेकिन तुमने उसकी फिकर नही की, मरते रहते है ऐसे लोग तो हम तो घूमने जायेगे, उसी समय ऐसा कर्म बन्ध गया कि तुम्हारी जिंदगी में बीमारी तो आएगी लेकिन लाइलाज बीमारी आएगी क्योंकि तुमने उपेक्षा की। हर व्यक्ति से कहना चाहता हूँ कि कभी एक बार भी कोई भी मनोरंजन,कोई भी शौक किसी धर्म के कारण,मन्दिर के कारण छोड़ना है। तुम्हे ऐसा पुण्य बंधेगा तुम्हे कि संसार मे प्रलय आ जायेगा| संसार मे भूखे एक एक दाने को मरेगे लेकिन तुम्हारे घर मे कल्पवृक्ष सदा फल देकर तुम्हारी रक्षा करेगा। अपने लिए कमाई हुई वस्तु दान में फलती है। धर्म दो तरह का होता है एक बीमारी को दूर करने का और एक बीमारी के बाद ताकत लाने का। अध्यात्म की एक गाथा में इतनी ताकत है कि कितना भी घोर उपसर्ग आ जाये वो डिगता नही है। सारे धर्मो में सर्वश्रेष्ठ धर्म, सर्वश्रेष्ठ ताकत है अध्यात्म। चारो अनुयोगों में सर्वश्रेष्ठ है | द्रव्या नुयोग कलशा के समान। ताकतवान लेकिन इसे बीमार व्यक्ति न पीवे। गृहस्थी में रहकर के यदि असंयमदशा में यदि अध्यात्म रूप टॉनिक पी लिया तुम्हारा मरना निश्चित है तुम्हारी दुर्गति होना निश्चित है।अभिषेक को प्रक्षाल कहना बहुत बड़ा अपराध है, प्रक्षाल का अर्थ है गन्दगी की सफाई, वो गंधोदक नही हो सकता। मूर्ति को कपड़े से पोंछना ये मार्जन है, प्रक्षाल है, अभिषेक नही। अभिषके वही कहलाता है जो मंत्र पूर्वक भगवान के ऊपर ढारा जाता है। महानुभाव जब जब तुम्हें दिगम्बर मुद्रा से घ्रणा होने लग जाये आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी ने अष्टपाहुड ग्रन्थ में कहा है कि यथाजात मुद्रा को देखकर तुम्हारे अंदर यदि उपेक्षा भाव आ रहा है तुम्हे,समझ लेना चाहिए वो संयम का प्रतिपक्षी है और मिथ्यादृष्टि है। धर्मसभा का शुभारंभ जयपुर हाउस शैली की बालिकाओं ने भक्ति गीत पर बहुत सुंदर नृत्य कर मंगलाचरण की प्रस्तुति के साथ किया । इसके बाद सौभाग्यशाली भक्तों ने संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन किया,साथ ही मुनिश्री को शास्त्र भेंटकर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया । इस दौरान श्री दिगंबर जैन धर्म प्रभावना समिति,आगरा दिगंबर जैन परिषद एवं बाहर से आए हुए गुरुभक्तों ने गुरुदेव के चरणों में श्रीफल भेंट किया । धर्मसभा का संचालन मनोज जैन बाकलीवाल द्वारा किया । धर्मसभा की व्यवस्था पत्तल गली शैली की महिला मंडल द्वारा संभाली गई। धर्मसभा में प्रदीप जैन पीएनसी, निर्मल मोठ्या,मनोज बाकलीवाल नीरज जैन जिनवाणी,पन्नालाल बैनाड़ा,हीरालाल बैनाड़ा,ज‌‌गदीश प्रसाद जैन,ललित जैन मुकेश जैन विटुमिन मीडिया प्रभारी आशीष जैन मोनू,मीडिया प्रभारी शुभम जैन,राजेश सेठी,शैलेन्द्र जैन, राहुल जैन,विवेक बैनाड़ा, अमित जैन बॉबी,पंकज जैन, नरेश जैन,अनिल जैन शास्त्री, रूपेश जैन,के के जैन, सचिन जैन,दिलीप कुमार जैन,अंकेश जैन, सचिन जैन,पुष्पा बैनाड़ा,बीना बैनाड़ा, उमा मौठया,सोनल जैन, समस्त सकल जैन समाज आगरा के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
रिपोर्ट : शुभम जैन, मीडिया प्रभारी

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