बने रहे वे नींव के पत्थर,
हमें शिखर सुख तक लाये,
कोटि नमन सब गुरुवर मेरे,
यश, सुख वैभव दिलवाये.
सारा ज्ञान समर्पित होकर,
दिया, बढ़ाया नित आगे,
सीमित संसाधन में रहकर,
हमें पढ़ाया नित आके.
अब भी छोटे घर,आंगन उनके,
कोठी, कार हमारी है,
फिर भी व्याकुल,आकुल न वो,
गुरुवर की बलिहारी है.
कितने शीर्षपद,गरिमा वाले,
आकर वंदन करते हैं,
चरणों की रज लेते हर्ष से,
और अभिनन्दन करते हैं.
शिक्षक दिवस पर शीश नवाते,
अपने सब गुरुवर जन को,
मात, पिता, व प्रभु जी जैसे,
हैं वन्दनीय वे हम सबको.
इंजिनियर अरुण कुमार जैन.
भोपाल, ललितपुर, फ़रीदाबाद.