लोक कल्याण महा मंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ का हुआ शुभारंभ
श्रावक श्रेष्ठी बन कर शान्ति धारा का सौभाग्य प्राप्त करें: विजय धुर्रा
अशोक नगर। ये मणिकंचन योग मिल गया सोलह कारण भावना विधान समवसरण प्रभु की वाणी सुनने का सौभाग्य हमें कब मिला लेकिन आपने यहां जो भव्य समवशरण बनाकर त्रिलोकी नाथ प्रभु को विराजमान कर महा महोत्सव करने की भावना बनाई है। ये अति उत्तम परिणाम है जिन से तीर्थ का उदय होता है वे तीर्थ कर कहलाते हैं तीर्थ कर केसे बनते है तो सोलह कारण भावना भाने से तीर्थकर प्रकृति का वंध होता है ऐसे महान अनुष्ठान में हम अपने भावों को निर्मल करने का पुरूषार्थ करके पुण्य कमाये ये महा सौभाग्य का अवसर है लोक कल्याण की कामना करके शिव पथ पर चलकर का हम मार्ग चुने उक्त आश्य केउद्गार सुभाष गंज मैदान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्रीआर्जवसागर जी महाराज ने व्यक्त किए।
ये महोत्सव हम सभी के पुण्य में वृद्धि करेगा
महोत्सव में मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि परम पूज्य आचार्य श्री आर्जव सागर जी महाराज के आशीर्वाद व सानिध्य में आज से शुरू हो रहे लोक कल्याण महा मंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ के प्रथम दिन सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल परिवार को एवं चक्रवर्ती बनकर महा पूजा का सौभाग्य राजेश जैन इंडियन को मिला । जिनका सम्मान हमारी कमेटी के महामंत्री राकेश अमरोद, कोषाध्यक्ष सुनील अखाई ,युवा वर्ग के संरक्षण शैलेन्द्र श्रागर, उमेश सिघई, प्रमोद मंगलदीप, राजेन्द्र अमन मेडिकल करेंगे। आचार्य श्री के आशीर्वाद से कल से दो श्रावक श्रेष्ठी को भी मंच पर मंडल के निकट बैठकर विधान करने का सौभाग्य मिलेगा ये महोत्सव हम सभी के पुण्य में श्री वृद्धि करेगा।
यहां दूसरा मौका है जब हम सोलह कारण मना रहे हैं
इस दौरान प्रमोद मंगलदीप ने कहा कि प्रतिदिन नये नये व्यक्तिओ के सौधर्म इन्द्र व चक्रवर्ती बनकर महा महोत्सव में समवशरण के निकट बैठकर महा पूजन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा शैलेन्द्र श्रागर ने कहा कि आचार्य महाराज के सान्निध्य में हमने दो हजार पांच में भी सौभाग्य प्राप्त किया था ये दुसरा मौका है जब हम सोलह कारण मना रहे हैं इसके पहले इन्दौर से पधारे प्रतिष्ठाचार्य पारस शास्त्री द्वारा समवशरण व मंडल शुद्धि के साथ महा मंडल पर चार कलशो के साथ शान्ति कलश की स्थापना बृहद मंत्रोच्चार के साथ कराई गई। इसके बाद श्री विधान में मुख्य पात्रो के साथ ही अन्य भक्तों ने मंडल पर श्री फल के साथ अर्घो का समर्पण किया।
जड़ जितनी गहरी होगी वृक्ष उतना ही ऊंचा होगा
आचार्यश्री ने कहाकि जितनी जड़ गहरी होगी वृक्ष भी उतना ही ऊंचा जायेगा ऐसे ही पुण्य जितना होगा उतनी ही राज सम्पदा आपको मिलेगी दर्शनविशुद्ध की भावना से ही तीर्थ कर पद प्रतिष्ठा पाने पहली सीढ़ी है। पुण्य है तो सब चल रहा है इस लिए कहा रहा हूं कि पुण्य के उदय में पुण्य की प्राप्ति के सतत् प्रयास करते रहना चाहिए श्रद्धा रखो पुण्य को खत्म नहीं करना दूसरे को मत देखो ये जो कुछ भी मिला है पुण्य के उदय से मिला है यदि हमने पुण्य को खाकर खत्म कर दिया तो दुःख ही मिलेगा पुण्य के उदय में पुण्य को प्राप्त करने का पुरूषार्थ करते रहना चाहिए।