3 सितम्बर से लगेगा जैनोलोजी कैम्प
मनोज नायक/भिण्ड। शिक्षा समाज का उत्थान करती है। चाहे वह लौकिक शिक्षा हो या धार्मिक। बिना शिक्षा के, बिना ज्ञान के समाज बिना आंखों वाले व्यक्ति के समान अर्थात अंधे के समान हैं। शिक्षा से शिष्टाचार और शिष्टाचार से नम्रता आती है। “विद्वान सर्वत्र पूज्यते” अर्थात ज्ञानी व्यक्ति सभी जगह आदर वी सम्मान प्राप्त करते हैं। “ज्ञान समान न आन जगत में सुख को कारण” ज्ञान के समान संसार में कोई सुख का कारण नहीं हैं । लौकिक शिक्षा के साथ साथ धार्मिक शिक्षा भी जरूरी है। लौकिक शिक्षा जहां हमें धनोपार्जन के साथ जीवन यापन सिखाती है, वहीं धार्मिक शिक्षा हमें संयम के साथ रहकर जीवन जीने की कला सिखाती है। उक्त विचार बाक्केशरी आचार्य श्री विनिश्चयसागर महाराज ने ऋषभ सत्संग भवन भिण्ड में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
गणाचार्य श्री विरागसागर महाराज के परम प्रिय शिष्य आचार्य श्री विनिश्चय सागर महाराज ने कहा कि बच्चों को धार्मिक शिक्षा एवम संस्कारों के वीजारोपड़ हेतु ऋषभ सत्संग भवन में 03 सितम्बर से “जैनोलोजी कैम्प” का आयोजन किया जा रहा है । इस कैम्प में 06 वर्ष से 14 वर्ष तक के बालक एवम बालिकाएं भाग लेकर अपने जीवन का उत्थान करेंगे । जीवन के साथ भी-जीवन के बाद भी, उनमें संस्कार जीवंत रहेंगे । इसी दरम्यान 03 सितम्बर से 05 सितम्बर तक “जैन दंपत्ति” सैमीनार का आयोजन भी किया जा रहा है । इस सैमीनार में एक सैकड़ा से अधिक दंपत्ति भाग लेकर अपनी जीवनशैली को आगे बढायेगे।