गुंसी, निवाई। गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ने भव्य जीवों को धर्मोपदेश देते हुए कहा कि – जिस कर्म के परिणाम स्वरूप हमारा और दूसरे का हित होता है वही पुण्य है और जिसमें हमारा व दूसरों का अहित होता है वह पाप है । मां का बच्चों को डाँटना , गुरु का शिष्य पर शासन करना दोनों कर्म बड़े कठोर प्रतीत होते हैं, पर उसके परिणाम में बच्चे और शिष्य का हित होता है । इसमें माता व गुरु का हित निश्चित है। शाश्वत सत्य है कि जिस कर्म से दूसरे का हित होगा उससे हमारा हित भी संभव है। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ में टोंक जिला प्रमुख सरोज बंसल एवं पर्यटन विभाग प्रमुख मधुसूदन यादव को ने गुरू माँ का वात्सल्य पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया । टोंक जिले का प्रमुख तीर्थक्षेत्र सहस्रकूट विज्ञातीर्थ का निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है। गुरु माँ के सान्निध्य में श्री शांतिनाथ महानुष्ठान कराने का सौभाग्य नवीन लालगोला वालों ने प्राप्त किया।