Tuesday, November 26, 2024

जिसका का कोई गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं: आचार्य श्री आर्जाव सागर जी

सोलह कारण पर्व का शुभारंभ होगा विधान के साथ: विजय धुर्रा

अशोक नगर। हमारे जीवन को सही रास्ता दिखाने वाले गुरु होते हैं गुरु की दी गई सीख जीवन भर काम आती है जिसका कोई गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं गुरु आपसे कुछ लेते नहीं है बस आपके जीवन को अच्छा बनाने के लिए आपको मार्ग दर्शन देते रहते हैं हम उनके निर्देशन का लाभ लेकर श्रेष्ठ श्रावक अच्छे इंसान के साथ ही अच्छे नागरिक वनकर अपने नगर समाज देश के लिए अपना योगदान दे सकते हैं उक्त आश्य केउद्गार आचार्य श्री आर्जव सागर जी महाराज ने सुभाषगंज मैदान में धर्मसभा को व्यक्त किए।
सोलह कारण विधान में होगी भगवान जिनेन्द्र देव की आराधना
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि आचार्य श्री आर्जव सागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में आज से सौलह कारण पर्व प्रारंभ हो रहा है जिसमें भगवान जिनेन्द्र देव की आराधना होगी जो भी श्रावक सोलह कारण व्रत कर रहे हैं उन्हें पंचायत कमेटी ने विशेष व्यवस्था बनाई है वे सभी अग्रिम पंक्ति में बैठकर विधान में अर्घ समर्पित करेंगे जगत कल्याण की भावना भाने से तीर्थकर प्रकृति का वंध होता है सभा का संचालन करते हुए युवा वर्ग संरक्षण शैलेन्द्र श्रागर ने कहा कि तीस तारीख हम सब को बहुत विशेष होगी जव हम सब आचार्य श्री आर्जवसागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में अक्पनाचार्य आदि सप्त शतक मुनि राजों की रक्षा के दिन को याद करके उनके चरणों में सात सौ श्रीफल समर्पित करेंगे इसके साथ ही भगवान श्री श्रेयांस नाथ स्वामी की निर्वाण कल्याणक मनाते हुए लाड़ू चढ़ायेंगे ।इसके पहले आचार्य श्री के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल महामंत्री राकेश अमरोद कोषाध्यक्ष सुनील अखाई प्रमोद मंगलदीप अजित वरोदिया राजेन्द्र अमन मेडिकल सहित अन्य भक्तों ने किया ।
न्याय नीति से चलेंगे तो आप का यश बढ़ेगा
उन्होंने कहा कि किसी भी पर वस्तु पर अपनी नियत ख़राब ना करें चोरी का माल खरीदना भी चोरी के अंतर्गत आता है चोरी का सामान खरीदने वालों को भी सज़ा हो जाता है आप न्याय नीति से चलेंगे तो आप का यश बढ़ेगा अपयश से वचना चाहते हो तो न्याय नीति को अपने जीवन में शामिल कर लेना पर वस्तुओं के प्रति जव लालसा जागती है तो हम दुसरे की वस्तु को हड़पने का छल कर बैठते हैं पर वस्तु ख़तरे से ख़ाली नहीं है पर वस्तु के प्रति लालसा नहीं करना चाहिए हमें उसे लेने का भाव नहीं आना चाहिए।
लोभ की प्रवृत्ति ने जल को भी व्यापार वना दिया
आचार्यश्री ने कहा कि पहले जल और भूमि पर कोई टैक्स नहीं था पहले जल का सीमित उपयोग होता था सदियों से जल को सभी के लिए उपलब्ध कराना नैतिक धर्म माना जाता था आज तो जल का भी व्यापार हो गया लोभ की प्रवृत्ति इतनी बड़ गई कि लोग पानी को भी वेचने लगे भूमि को वेचने लगे तो सरकार को भी टैक्स लगाना पड़ा आज इनका दुरूपयोग होने लगा पर वस्तु को ज्यादा घुरना भी ठीक नहीं है किसी की कार रखीं हैं आप लगातार उसको देखने लगें उसको घूरने लगें तो वह आपको कहेगा क्यों नीयत ख़राब कर रहे हो कुछ लिया दिया नहीं और वेअर्थ में ही परिणाम खराब होने से अपने आप को वचा सकते हैं इसके लिए अपने आप को सबधान रखना होगा।

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