Saturday, September 21, 2024

श्रावक कहलाना आसान बनना बहुत मुश्किल, त्याग में ही जीवन की सार्थकता: चेतनाश्रीजी म.सा

समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने दिलाई कई श्रावक-श्राविकाओं को श्रावक के 12 व्रत स्वीकार करने की प्रतिज्ञा

सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। श्रावक कहलाना बहुत आसान होता है लेकिन बनना मुश्किल होता है। श्रावक के 12 व्रत स्वीकार करने वाला ही सच्चा श्रावक-श्राविका होते है। नियम केवल स्वीकार ही नहीं करने बल्कि जीवनभर उनकी पालना करना भी जरूरी है। जीवन की सार्थकता त्याग में ही है। हमने परमात्मा महावीर प्रभु ओर अपनी आत्मा की साक्षी में ये श्रावक व्रत स्वीकार किए है जिनका पालन करना है। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में मंगलवार को श्री अरिहन्त विकास समिति के तत्वावधान में मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. की 133वीं जयंति एवं एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की 96वीं जयंति के उपलक्ष्य में अष्ट दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव के छठे दन मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने श्रावक व्रत स्वीकार करने वालों की अनुमोदना करते हुए गुरूदेवों की भक्ति व साधना अनुकरणीय थी। उनके जीवन से जितनी प्रेरणा ग्रहण करें कम होगा। इससे पूर्व तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी ने श्रावक व्रत प्रतिज्ञा सम्पन्न कराई। इस दौरान महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने श्रावक के 12 व्रत स्वीकार करने की प्रतिज्ञा की। उन्होंने कहा कि व्रत स्वीकार करने के बाद अब आप व्रति श्रावक बन गए है। बिना व्रत स्वीकार किए कोई सच्चा श्रावक नहीं हो सकता। श्रावक व्रत स्वीकारने से भव भ्रमण मिटकर तीर्थंकर गौत्र का बंध हो सकता है। उन्होंने कहा कि व्रत स्वीकार करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को माह में एक बार इन व्रतों की पुस्तक अवश्य पढ़नी है ताकि उन्हें याद रहे कि हमने क्या त्याग किए ओर किन नियमों को स्वीकार किया है। हम इन चीजों का उपयोग नहीं करते उनका त्याग कर सकते है। महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने कहा कि गुरूदेव मरूधर केसरी पूज्य मिश्रीमलजी म.सा. ने उनके जीवन को संवारा है। गुरूदेव ने संयम स्वीकार करके अपने साथ दूसरांें का भी कल्याण किया। संत हमेशा परमार्थ के लिए कार्य करते है। मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि संतों का जीवन हमेशा प्रेरणा देने वाला होता है। गुरू मिश्री रूप रजत जैसे संतों का आशीर्वाद जिनको प्राप्त हो गया उनका जीवन धन्य हो गया। धर्मसभा में तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. ने गीत ‘छोड़ कर संसार जब तू जाएगा कोई न साथी तेरा साथ निभाएगा’ की प्रस्तुति देते हुए कहा कि इस संसार में कोई भी रिश्ता अपना नहीं है। सारे रिश्ते यहीं छूट जाएंगे एक धर्म का रिश्ता है जो हमेशा साथ आएगा। इसलिए जीवन में गुरूओं का आशीर्वाद लेकर धर्म करते रहे। धर्मसभा में आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा में जैन कॉन्फ्रेंस महिला शाखा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पा राजेन्द्र गोखरू ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि चन्द्रशेखर आजादनगर के रूप रजत विहार में पहली बार हो रहे चातुर्मास में जिनशासन भक्ति का जो नजारा है वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि चातुर्मास में जो भी प्रतिक्रमण कंठस्थ करेंगा या मासखमण की तपस्या करेंगा उनका कॉन्फ्रेंस की ओर से चातुर्मास समाप्ति के बाद सम्मान किया जाएगा। सुश्रावक ज्ञानचंदजी लोढ़ा, महावीरजी धोका ने भी विचार व्यक्त किए। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा एवं अन्य पदाधिकारियों द्वारा किया गया। धर्मसभा में अष्ट दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव के तहत 24 से 28 अगस्त तक हुए कार्यक्रमों के आधार पर तैयार डिजीटल अंक की प्रति का विमोचन करते हुए उसे साध्वीवृन्द के चरणों में समर्पित किया गया। इस अवसर पर लक्की ड्रॉ के माध्यम से चयनित 11 भाग्यशाली श्रावक-श्राविकाओं को पुरस्कृत किया गया। लक्की ड्रॉ के लाभार्थी श्री गुलाबचंदजी राजेन्द्रजी सुकलेचा परिवार रहा। धर्मसभा में भीलवाड़ा शहर एवं आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे सैकड़ो श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

आत्मशुद्धि की भावना से तप साधना की लगी होड

रूप रजत विहार में चातुर्मास में तपस्या की गंगा प्रवाहित हो रही है। मंगलवार को धर्मसभा में सुश्राविका निर्मला मुरड़िया ने 13 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। तपस्वी की अनुमोदना में हर्ष-हर्ष, जय-जय के स्वर गूंजायमान हो उठे। गुरू द्वय पावन अष्ट दिवसीय जन्मोत्सव के तहत तेला तप साधना करने वाले तपस्वियों में से पांच श्रावक-श्राविकाओं प्रवीण बोहरा, मोनिका बोहरा, पूनम संचेती, सपना तातेड़, रेखा कोठारी ने तपस्या गतिमान रखते हुए सोमवार छह-छह उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।

मरूधर जैन गुरू सेवा समिति ने की बेंगलूरू चातुर्मास की विनती

धर्मसभा में मरूधर जैन गुरू सेवा समिति कर्नाटक के सदस्यों ने महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा से आगामी वर्ष 2024 का चातुर्मास बेंगलूरू में करने की भावपूर्ण विनती प्रस्तुत की। विनती पत्र का वाचन समिति के महामंत्री अशोककुमार धोका ने किया। उन्होंने कहा कि मरूध केसरी ओर रूपचंदजी म.सा. के भक्त आपके दक्षिण भारत आगमन का इन्तजार कर रहे है। आपका आगामी चातुर्मास बेंगलूरू को मिले इसके लिए पूज्य प्रवर्तक सुकुन मुनिजी म.सा. के चरणों में भी विनती पत्र प्रस्तुत किया जाएगा। विनती पत्र इन्दुप्रभाजी म.सा. को समर्पित करने वालों में महामंत्री धोका के साथ समिति के अध्यक्ष तख्तराज बाफना, कार्यकारी अध्यक्ष जयचंद बाफना आदि पदाधिकारी शामिल थे। साध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने कहा कि बेंगलूरू वालों की विनती झोली में है। जैसा गुरूदेव आदेश देंगे उसकी पालना की जाएगी।

सर्वव्याधि निवारक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत का जाप

रूप रजत विहार में मंगलवार को सुबह 8.30 बजे से सर्वसुखकारी व सर्वव्याधि निवारक घण्टाकर्ण महावीर स्रोत जाप का आयोजन किया गया। तत्वचिंतिका डॉ.समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने ये जाप सम्पन्न कराया। इसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लेकर सभी तरह के शारीरिक कष्टों के दूर होने एवं सर्वकल्याण की कामना की। चातुुर्मासकाल में प्रत्येक मंगलवार को सुबह 8.30 से 9.15 बजे तक इस जाप का आयोजन हो रहा है।

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