विनोद छाबड़ा “मोनू”/आगरा। कोई भी व्यक्ति ऐसा नही है जिसको किसी न किसी का सहयोग न लेना पड़े और उसी चीज के लिए मना किया गया है कि तुम्हे किसी का सहयोग लेना नही है, मन से, वचन से, काय से। भावना यही भाना है, पूरी ताकत लगा दो, बिना सहयोग के जीने की आदत डालो। व्यापारिक नीति है धंधा छोटा करो लेकिन कर्ज लेकर मत करो। जो पुण्यहीन है, जिनकी किस्मत साथ नही देती है उनको विशेष रूप से हिदायत है कि वे कर्जा लेकर धंधा न करे ,कर्ज लेकर मकान न बनाये, कर्जा लेकर के गाड़ी न मंगाये क्योंकि तुम्हे मालूम है तुम्हारी किस्मत बलजोर नही है। पहले अपनी किस्मत देखो तुम्हारी किस्मत कैसी है। बुरे दिन में लोन नही लेना। इस समय तुम्हारे अच्छे दिन नही चल रहे है, मजदूरी कर लो, हो सके तो भीख मांग लो लेकिन कर्जा मत करना।
हर क्षेत्र में पुण्य को ठुकराओ, पुण्य के उदय में मन्दिर आओ, धर्म करो। जब तुम्हारा बहुत पुण्य का उदय हो उस समय त्याग करके त्यागी बन जाओ, उसका नाम त्यागी है। भगवान का आनंद लेना है तो भाग्यशाली बनकर के जाओ, दुर्भागे बनकर मत जाओ। भगवान के दरवाजे जो दुर्भागी बनकर जाता है उसका भाग्य कभी नही चेतता। ये जिनेंद्र भगवान पुण्यवानो के है, भाग्यवानों के है। तुम मन्दिर आये हो क्या तुम्हें महसूस है कि मैं भाग्यवान हूँ ,मेरे बराबर पुण्यात्मा कोई नही। जिस दिन तुम्हे ऐसी फीलिंग हो जाये मैं पुण्यवान, भाग्यवान हूँ उस दिन तुम मन्दिर की तरफ कदम बढ़ाना भगवान के दर्शन उस रूप में होंगे, तुम देखके दंग रह जाओगे की भगवान का ये रूप है। मन्दिर का अतिशय रोने वालो से नही बढ़ता है, मन्दिर का अतिशय हंसने वालो से बढ़ता है। आप कभी दुख में दर्शन करना आपको भगवान का दर्शन नही होगा, आपके अनुभव में दुःख आएगा।
जब तुम सुखी हो और तुम्हारा साथी तुम्हे देखकर दुखी हो जाये, तुम्हे उलाहना और दे दे तुम यहाँ सुख भोग रहे हो, मैं मर रहा हूँ। समझना वो स्वार्थी है। आपको सिर दर्द हो रहा है और साथ मे तुम्हारा भाई है, पति है, पत्नी है, माँ है, बेटा है कोई भी हो उसके सोते समय तुम्हे कैसा लग रहा है। यदि आपको इतनी खुशी हो जाये कोई बात नही मैं तो दुखी हूँ, कम से कम मेरा साथी सुखी है।
एक गरीब की गरीबी कब दूर होगी। मैं पूछता हूँ कि तुम्हे अमीर को देखकर कैसा लगता है। यदि तुम्हे ऐसा भाव आ जाये कि मैं भाग्यवान जो मुझे प्रतिदिन अमीर का दर्शन होता है। ऐसे भाव आने लगे तो महानुभाव छह माह में तुम्हारी गरीबी अमीरी में बदलने लग जाएगी। अपने सुख में तो दुनिया नाची है, कभी दूसरे के सुख में नाचके दिखाओ तो तुम्हारा सुख का भंडार भर जाएगा। जो चीज तुम चाहते हो, तुम्हारे पास नही है, वो किस के पास है उसको देखकर के तुम शगुन मान लेना, जाओ तुम्हारा दिन परिवर्तित हो जाएगा। ये भावना णमोकार मंत्र से भी ज्यादा ताकतवर है।
अपन भगवान के गुणों को देखकर जितने जितने खुश होंगे, उतनी उतनी हमारी भगवत्ता निकट होगी, तुम्हारा मंगलाचरण शुभ होगा, शगुन मानो। साधु बनना चाहते हो, सोचो मैं भाग्यवान हूँ साधु का दर्शन कर रहा हूँ। णमोकार मंत्र पढने से भी बैरी शांत होगा हम नही कह सकते, लेकिन ये भावना भाने से ऐसा हो जाएगा सारा जगत मित्र हो जाएगा।
यदि आपके हाथ मे सुखी रोटी है दिवाली के दिन, आपने इतना भर कह दिया ये कोई भोजन है दिवाली के दिन, सावधान अगले छह महीने के अंदर अंदर तुम्हारे हाथ मे वो सूखी रोटी भी नही नसीब होगी, ये पक्का है। सबसे बड़ी बद्दुआओं तुम्हारी खुद की। इतना कर देना प्रभु तेरी इतनी कृपा न जाने दुनिया में ऐसे कितने जीव है जो दिवाली के दिन सूखी रोटी भी नसीब नही है मेरे भाग्य में तो कम से कम सूखी रोटी है, थैंक्स। प्रभु को, रोटी को थैंक्स कह देना। गारन्टी मेरी है अगली दिवाली में तुम्हे तली हुई मिठाई के साथ रोटी मिलेगी। ये मंत्र, यंत्र ठगियो के काम है, मेरे पास कोई मंत्र नही है। इनसे कोई अमीर होता तो सारा जगत अमीर होता। जो तुम्हारे पास है उसको कोसना नही, बस।
✍🏻संकलन- शुभम जैन ‘पृथ्वीपुर’