वी के पाटोदी/सीकर। जैन समाज सीकर से जुड़ी संस्था जय जिनेंद्र ग्रुप प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी तीर्थ यात्रा आयोजित करने जा रहा है । शाश्वत तीर्थ सम्मेद शिखर जी हेतु यह यात्रा 25 दिसंबर से 3 जनवरी 2024 के मध्य प्रस्थान करेगी । संस्था अध्यक्ष पुनीत छाबड़ा व मंत्री अजय जैन ने बताया संस्था की वार्षिक मीटिंग में इस बार जैन धर्मावलंबियों के सबसे बड़े व मुख्य आस्था केंद्र झारखंड स्थित पारसनाथ की पहाड़ियों पर सम्मेद शिखर जी की तीर्थ वंदना आयोजित की जाएगी । जिसमें जिला सीकर गुजरात, मणिपुर, जयपुर रांची, रानोली दूजोद, कुचामन, कुकनवाली, रामगढ़ मंडा, सुरेरा,पलाड़ा आदि 28 स्थान के जैन श्रावक 10 दिवसीय तीर्थ यात्रायात्रा में सम्मिलित होंगे । संस्था की मीटिंग के दौरान अमर रारा गुवाहाटी व मोनू छाबड़ा ने सभी व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए रेल व्यवस्था हेतु पुनीत छाबड़ा व अजय जैन , बस व्यवस्था हेतु पंकज अजमेरा व राजेश शाह जयपुर रोहित मोदी सीकर अमित बड़जात्या किशनगढ़, आवास व्यवस्था हेतु मुकेश पाटनी नागवा वाले व विशाल जैन कुचामन प्रदीप विनायक्या , भोजन व्यवस्था हेतु केसर रारा दुजोद व अमित महालजिका , मोना बाकलीवाल जयपुर , सूरज काला, मुकेश जैन को मुख्य संयोजक नियुक्त किए गया । तीर्थ यात्रा समिति के मुख्य मार्गदर्शक प्रसिद्ध समाज सेवी कमल गंगवाल गुवाहाटी ने बताया कि प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली इस तीर्थ यात्रा में जय जिनेंद्र ग्रुप सीकर की यह नवीं तीर्थ यात्रा होगी , जिसमें जनमानस श्रेष्ठीजनो के सहयोग से हजारों लोग प्रतिवर्ष नए-नए तीर्थ का दर्शन कर अपने जीवन को धन्य कर पाते हैं । संस्था के सदस्य अमित पिराका व महावीर जैन ने बताया कि तीर्थ वंदना पत्रिका का भव्य विमोचन सितंबर माह में किया जाएगा , मुख्य बुकिंग स्थल चंद्र प्रकाश पहाड़िया जाटिया बाजार सीकर रहेगा । जैन समाज के प्रवक्ता विवेक पाटोदी ने बताया जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों और लाखों संतों व मुनियों ने श्री सम्मेद शिखर जी से मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए यह ‘सिद्धक्षेत्र’ कहलाता है और जैन धर्म में इसे तीर्थराज अर्थात ‘तीर्थों का राजा’ कहा जाता है । पार्श्वनाथ पर्वत की परिक्रमा करने के लिए मधुबन पर्वत से चढ़ाई शुरू होती है , पर्वत के शिखर तक श्रद्धालु पैदल या डोली से जाते हैं और दुर्गम रास्तों से होते हुए 9 किमी की यात्रा करके शिखर तक पहुंचते हैं । 27 किमी की इस संपूर्ण यात्रा को पूरा करने में 10-12 घंटे का समय लगता है। यह तीर्थ भारत के झारखंड प्रदेश के गिरिडीह जिले में मधुबन क्षेत्र में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस शाश्वत तीर्थ की एक बार यात्रा करने से मनुष्य मृत्यु के बाद पशु योनि नहीं पाता और न ही उसे नर्क की यातना को सहना पड़ता है।