सुनिल चपलोत/चैन्नाई। संसार का हर प्रांणी स्वर्ग प्राप्त करना चाहता है। लेकिन स्वर्ग मांगने से नहीं मिलता है। साहूकार पेठ श्री एस.एस.जैन भवन के मरूधर केसरी दरबार मे महासती धर्मप्रभा ने श्रोताओं को धर्म उपदेश प्रदान करतें हुए कहा कि क्रोध मान लोभ और कसायो को जब तक मनुष्य त्याग नहीं करेगा तब तक उसकी आत्मा को देवलोक और स्वर्ग कि प्राप्ति नहीं होने वाली है। क्रोध मान लोभ और कसाय आत्मा की मुक्ति मे तो बांधा पहुंचाते ही है मनुष्य के जीवन का निर्माण भी नहीं होने देते है। इंसान कितना भी जप तप करले लेकिन उसका क्रोध लोभ और लालसाएं जब तक खत्म नहीं हो जाती है। तब तक उसको जप तप और साधना का फल नहीं मिलने है। मनुष्य पाप करके दुनिया के किसी भी कौने मे छिप जाए, लेकिन भगवान कि नजरों से नहीं बच सकता है।जब तक अपने सम्पूर्ण पापो का प्रायश्चित एवं क्षय नहीं कर लेता है तब तक संसार मे अपने जन्म मरण को नहीं टाल पाएगा। आत्मा देवलोक मे तभी प्राप्त कर सकती है ।जब मनुष्य अपने अशुम कर्मो का क्षय कर लेगा ।साध्वी स्नेहप्रभा प्रभा ने उत्ताराध्ययन सूत्र के पांचवे अध्ययन का वांचन करते हुए संसार मे संत हो या गृहस्थ जिसकी जैसी साधना होगी उसे जीवन मे वैसा ही फल प्राप्त होगा। परमात्मा की वाणी मे सभी केलिए सम्मान होती है, चाहे साधू हो या गृहस्थ वितराग वाणी में कौई अंतर नहीं होता है। परमात्मा सदमार्ग दिखा सकते है लेकिन चलना स्वयं को पड़ता है, तभी आत्मा देवलोक और मोक्ष को प्राप्त कर सकती है।संसार मे हर मनुष्य कि आकृति एक जैसी होती है परंतु स्वभाव और प्रवृत्तिया सभी की अलग-अलग होती है। किसी मे बुराइयां और किसी मे अच्छाइयां भरी हुई होती है। इंसान जन्म से बुरा नहीं होता अपने व्यहवार, आचरण से अपने जीवन का पतन भी कर सकता है और उत्थान भी कर सकता है। मनुष्य मर्यादा मे रहकर धर्म का पालन करे और परमात्मा के बताए गए पथ पर चलेगा तो अपनी यश कीर्ति को बढ़ा कर अपनी इस आत्मा देवगती दिलवा सकता है। श्री संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने बताया कि धर्मसभा में महासती धर्मप्रभा जी की प्रेरणा पर अनेक बहनों ने श्री पार्श्वपद्मावती के एकासन व्रत के प्रत्याख्यान लिए उन सभी बहनों एकासन व्रत की श्री एस.एस.जैन संघ साहूकार पेठ के अध्यक्ष एम. अजितराज कोठारी, महामंत्रीसज्जन राज सुराणा, पदम ललवानी, माणकचन्द खाबिया, सुरेश डूगरवाल, जितेन्द्र भंडारी, बादलचन्द कोठारी, महावीर कोठारी, शांतिलाल दरड़ा, शम्भू सिंह कावड़िया, सुभाष काकलिया, अशोक सिसोदिया ज्ञानचन्द चौरड़िया आदि सभी पदाधिकारियों ने एकासन व्रत कि अनूमोदना की और सभी को सामूहिक रूप एकासना व्रत करवाया।