Sunday, November 10, 2024

पुस्तक समीक्षा: कहानी संग्रह तरुशिखा

लेखिका : डॉ.कांता मीना
प्रकाशक : सूर्य मंदिर प्रकाशन,
बीकानेर प्रकाशन वर्ष : 2023
पृष्ठ संख्या 96 मूल्य ₹ 300

मानवीय संवेदनाओ का एहसास कराती कहानियों का संग्रह है तरुशिखा, बीकानेर निवासी ख्याति नाम साहित्यकार एवं कहानीकार डॉ.कांता मीना का कहानी संग्रह तरुशिखा सूर्य प्रकाशन मंदिर बीकानेर द्वारा प्रकाशित हुआ है। इस कहानी संग्रह में 29 कहानियों को समाहित किया गया है। संग्रह की सभी कहानी समाज में घटित सत्य घटनाओं पर आधारित है जो आए दिन हमारे सामने घटित होती रहती हैं लेकिन हम और आप इस तरफ ध्यान नहीं देते। समाज में घटित घटनाओं पर अपनी लेखनी चलाकर डॉ.कांता मीना ने मानवीय संवेदनाओं से लवरेज कहानियों को जन्म दिया है। जिस प्रकार एक अधिवक्ता अपने तर्क वितर्क से न्यायालय में घटनाओं को जज के सामने रखकर न्याय की गुहार करता है ठीक उसी प्रकार से डॉ. मीना ने समाज में घटित घटनाओं को कहानी बनाकर साहित्य को समाज के सामने रखा सत्य की कसोटी परखने के लिए। कहानी संग्रह की कहानी परीक्षा से पहले की परीक्षा के माध्यम से डॉ. कांता मीना ने युवा लड़कियों की उस पीड़ा को उजागर किया है जो परीक्षा केंद्र तक जाने व केंद्र पर नकल रोकने के नाम पर युवतियों के साथ बदसलूकी होती रहती है। बेटियां जब परीक्षा केंद्र पर जाती हैं तो उनके साथ घर से निकलने से लेकर परीक्षा केंद्र तक अनेकों तरह की बदसलूकी होती है फिर भी वे बेटियां अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समाज से लड़ती हुई आगे बढ़ती है। संग्रह की कहानी वायरल गर्ल एक गांव देहात की ऐसी लड़की की कहानी है जो पढ़ना चाहती है लेकिन घर की आर्थिक हालात सही नहीं होने के कारण आगे नहीं पढ़ पाती। शादी के बाद उसके हौसलों की उड़ान भरने में उसके पति ने साथ दिया तो वह लड़की आईपीएस अधिकारी बन जाती है और उसका वीडियो अपने सपनों को नया आयाम देती प्रसिद्ध लड़की के नाम से वायरल होता है जिससे अन्य लड़कियां प्रेरणा ले आगे पढ़ने के लिए अपने मां-बाप से भी लड़ जाती है। यह लड़की अपनी मेहनत व लगन से पति का सहयोग प्राप्त कर अपने हौसलों की उड़ान भर पाई। कहानी खुशबू आज के युग में रिश्तों में पड़ रही खटास को दूर कर एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण कर रही है जिसमें सास बहू के रिश्तों में मिठास है । मां के हाथ के खाने की खुशबू बेटे को आकर्षित करती है तो मां भी अपनी बहू को बेटी समझ कर प्यार व दुलार करती है। संवेदनशील कहानीकार डॉ.कांता मीना ने अपनी कहानी कार्यकर्ता के माध्यम से देश की राजनीति में दलबदलू नेताओं पर करारा व्यंग्य करते हुए जनता को उनकी हकीकत से रूबरू कराया है। संग्रह की शीर्षक कहानी तरुशिखा ग्रामीण जीवन में घर के बड़े बेटे की जिम्मेदारियां को बयां करती है जिसमें घर का बड़ा बेटा जीवन भर बड़ा होने के कारण अपने सपनों को मारकर परिवार की जिम्मेदारियां का बोझ उठाता है लेकिन उसी के छोटे भाई जब बड़े होने पर उसे मान सम्मान नहीं देते हैं तो वह उस पीड़ा को कैसे सहन करता है यह इस कहानी के द्वारा कहानीकार ने समाज को अवगत कराया है। डॉ. कांता मीना के इस कहानी संग्रह की अन्य कहानियां अतीत की यादें, कथनी और करनी, विकास की गति, ईमानदारी, बछडे की व्यथा, चुनावी मुद्दा, देशी, भ्रष्टाचार, जादूगरी, यम के नियम, नया घर, बीजणी, एफ.डी., कड़ीली हंसी, आखिरी रात, हार और जीत, फरियादी, व्यंग्य, जंगल राज, अपनी-अपनी समझ, उपहार, भाग्य, जलसा व प्रथम पंक्ति भी मानवीय संवेदनाओं से भरी हुई है। डॉ. कांता मीना एक भावुक व संवेदनशील कहानीकार है उनकी कहानियों को पढ़कर ही लगता है कि समाज के हर पहलू को बड़े ही अच्छे ढंग से कहानियों में पिरोया है संवेदनशील कहानीकार डॉ. मीना ने अपनी कहानियों में अपने विचारों को बेबाकी से व्यक्त किया है। डॉ.मीना की कहानी समाज के वास्तविक रूप का ईमानदारी से दर्शन कराते हुए सभी कहानी समाज को सही दिशा दिखाने का भरसक प्रयास करेंगी। एक सच्चे साहित्यकार का कर्तव्य है कि वह अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को दर्पण दिखाएं और यह कार्य डॉ. कांता मीना ने बखूबी किया है। तरुशिखा कहानी संग्रह में कहानीकार अपनी बात कहने में सफल रही है। उम्मीद है डॉ. कांता मीना के इस कहानी संग्रह को पाठकों का भरपूर प्यार मिलेगा।।

समीक्षक : राजेंद्र यादव आजाद
(साहित्यकार ) व वरिष्ठ सहायक
रा.उच्च मा.वि.कुंडल, जिला दौसा

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article