Sunday, November 24, 2024

गणिनी आर्यिका गौरवमति माताजी के प्रथम स्मृति एवं अवतरण दिवस पर हुई विनयांजलि सभा

चुलगिरी समाधि स्थल पर उमड़े श्रद्धालु

जयपुर। जैन धर्म के इतिहास में एक अनूठा संजोग भगवान पार्श्वनाथ स्वामी के मोक्ष कल्याणक पर्व का बना था जिसमें 23 तारीख, 23 वां साल और 23 वें तीर्थंकर का मोक्ष कल्याणक पर्व मनाया गया था, वही अब दो दिन बाद एक अनूठा संजोग देखने को मिला जिसमें गणिनी आर्यिका रत्न गौरवमति माताजी जिनका गत वर्ष आचार्य सुनील सागर महाराज ससंघ सानिध्य में समाधि मरण हो गया था का इस वर्ष समाधि दिवस और अवतरण दिवस एक दिन होने से श्रद्धा के भावों को धारण कर शब्दों को विन्यांजलि की माला में पिरोकर श्रद्धांजलि देकर मनाया गया। माताजी के समाधि और अवतरण दिवस के अवसर पर मां सुपार्श्व-गौरव भक्त मंडल परिवार के सदस्यों द्वारा प्रातः 6 बजे आगरा रोड़ के चुलगिरी में स्थित समाधि स्थल की चरण छतरी का नारियल और गुलाब जल से अभिषेक किया साथ ही पुष्प वर्षा कर अष्ट द्रव्यों के साथ गणिनी आर्यिका गौरवमति माताजी का पूजन किया गया। इस दौरान गुरु भक्त परिवार के 50 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया।
अखिल भारतीय दिगंबर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया की गणिनी आर्यिका सुपार्श्वमति माताजी से वर्ष 2007 में दशहरा पर्व के दिन गणिनी आर्यिका गौरवमति माताजी ने जेनेश्वरी दीक्षा ग्रहण की थी, इससे पूर्व जब माताजी जब गृहस्थ अवस्था में थी तब उनका प्रमिला नाम था और जबलपुर मध्य प्रदेश में रहती थी। पहली बार जब आर्यिका इंदुमति माताजी और आर्यिका सुपार्श्वमति माताजी का संघ जबलपुर में प्रवास के लिए पहुंचा था तब प्रमिला दीदी कक्षा 11 वीं पास कर चुकी थी और कक्षा 12 वीं की तैयारी कर रही थी, उस दौरान जबलपुर में पहला अवसर था की कोई आर्यिका संघ ने पहली बार जबलपुर में प्रवास किया था जिसको लेकर पूरे शहर में आर्यिका संघ के दर्शनों को लेकर एक अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा था जिसका प्रभाव प्रमिला दीदी पर भी पड़ा और वह भी आर्यिका संघ के दर्शनों के पहुंची तब गणिनी आर्यिका सुपार्श्वमति माताजी ने केवल एक नियम पालन करने को कहते हुए जब तक शादी ना हो तब तक के लिए ब्रह्मचर्य व्रत पालन करने को कहा, यह बात सुनकर प्रमिला दीदी ने पूछा था की अगर वह आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करे तो तब सुपार्श्वमति माताजी बहुत प्रभावित हुई। जिसके बाद प्रमिला दीदी ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का नियम धारण कर लिया तो उनके पिताजी और माताजी ने अपने 5 बच्चों में सबसे छोटी प्रमिला दीदी को आर्यिका संघ को देते हुए जैन धर्म की प्रभावना को बढ़ाने लगाने का निवेदन किया। आर्यिका संघ में रहते हुए ही प्रमिला दीदी ने अपनी शिक्षा पूरी की और डॉक्टरेट की उपाधि ली। लगभग 40 वर्षो तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करती रही गुरुमां सुपार्श्वमति माताजी की सेवा की और वर्ष 2007 में गणिनी आर्यिका सुपार्श्वमति माताजी की दीक्षा का 50 वां स्वर्णिम महोत्सव वैशाली नगर के नेमीसागर कॉलोनी में मनाया गया था जिसमें देशभर से 1 लाख से अधिक श्रद्धालु सम्मिलित हुए थे, इसी महोत्सव के दौरान गणिनी आर्यिका गौरवमति माताजी ने दीक्षा ग्रहण की थी तब से लेकर गत वर्ष तक उनके सभी चातुर्मास राजधानी जयपुर में संपन्न हुए। इस दौरान उन्होंने नेमीसागर, चुलगिरी, श्याम नगर, बढ़ के बालाजी, जोहरी बाजार, श्याम नगर, वरुण पथ मानसरोवर, जनकपुरी, पदमपुरा, कीर्ति नगर आदि कॉलोनियों में चातुर्मास कर धर्म प्रभावना की। गत वर्ष भी माताजी का चातुर्मास श्याम नगर में चल रहा था, दशलक्षण पर्व शुरू होने से पूर्व उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा, मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने उस दौरान भट्टारक जी की नसियां में चातुर्मास कर रहे आचार्य सुनील सागर महाराज को माताजी के स्वास्थ्य की जानकारी दी, जिसके बाद आचार्य श्री स्वयं पदविहार करते हुए श्याम नगर गए और माताजी को देखा तो उन्होंने माताजी को भट्टारक जी की नसियां लेकर आने को कहा, जिसके अगले ही दिन माताजी को भट्टारक जी की नसियां में प्रवेश संपन्न करवाया गया, इस दौरान 56 से अधिक संतों के सानिध्य में माताजी को यम सल्लेखना व्रत धारण करवाया गया जिसके उपरांत उसी दिन रात्रि 11 बजे आर्यिका माताजी का समाधि मरण हो गया था। जिसके बाद अगले दिन प्रातः 8 बजे भट्टारक जी की नसियां से चुलगिरी तक अंतिम यात्रा निकाली गई थी जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने सम्मिलित होकर आचार्य सुनील सागर महाराज के सानिध्य में अंतिम क्रिया विधि कर उत्कर्ष समाधि संपन्न करवाई थी। वह एक वर्ष पहले आज ही दिन था जब माताजी अपने भक्तों के मोह का त्याग कर समाधि मरण के सुख को प्राप्त कर उत्कर्ष समाधि का वैभव पाया था।

शुक्रवार को माताजी के स्मृति और अवतरण दिवस के अवसर पर प्रातः 9.15 बजे से विन्यांजलि सभा का आयोजन किया गया था। जिसमें माताजी के गृहस्थ अवस्था के भाई प्रभात सिंघई (जबलपुर), अतिशय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा मंदिर समिति के मानद मंत्री अधिवक्ता हेमंत सोगानी, राजस्थान जैन सभा पूर्व अध्यक्ष कमल बाबू जैन, अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी मंदिर समिति सदस्य सुरेश साबलावत, राजकुमार सेठी, धर्म संरक्षणी महासभा अध्यक्ष धर्मचंद पहाड़िया, कीर्ति नगर मंदिर समिति मंत्री महावीर जैन, जनकपुरी मंत्री समिति अध्यक्ष पदमचंद बिलाला, श्याम नगर मंदिर समिति अध्यक्ष निहालचंद जैन, श्याम नगर महिला मंडल, गुरुमां सुपार्श्व-गौरव भक्त मंडल परिवार के सदस्य प्रदीप चूड़ीवाल, किशोर सरावगी, अजीत पाटनी, राजेंद्र बड़जात्या, महेंद्र जैन, वैभव जैन, सर्वेश जैन, सतीश कासलीवाल, आशीष गोधा, आशीष जैन चेतु, राज प्रमोद शाह, प्रकाश सेठी, पुष्पा सोगानी, पंडित प्रकाश जैन, ललित बड़जात्या, भागचंद जैन, अमित जैन, रजनी जैन, सुधा जैन, मीनाक्षी सोगानी, प्रकाश चांदवाड़, ज्ञानचंद जैन, मनोज जैन, राजेश जैन, राजेश सेठी, प्रवीण बड़जात्या, सुनील गंगवाल सहित विभिन्न श्रद्धालुओ और ब्रह्मचर्य मुन्नी बाई, ब्रह्मचर्य विमला देवी और ब्रह्मचर्य शैलबाला जैन आदि ने गणिनी आर्यिका गौरवमति माताजी के साथ बिताए पलों को याद कर शब्दों की माला पिरोते हुए विन्यांजलि स्वरूप श्रद्धांजलि अर्पित कर माताजी को याद किया।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article