Sunday, November 24, 2024

रूप रजत विहार में तप की बहार, तीन तपस्वियों ने लिए 9 के प्रत्याख्यान

महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में नियमित चातुर्मासिक प्रवचन

सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। जीवन में जैसे भी संभव हो तपस्या, साधना अवश्य करनी चाहिए। हमारी आत्मा को निर्मल व शुद्ध बनाने का माध्यम तपस्या होती है। कोई तपस्या नहीं कर सकता है तो उसे तपस्या के अनुमोदन का लाभ अवश्य लेना चाहिए। तपस्वी की अनुमोदना भी पुण्य अर्जित कराता है। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में मंगलवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में तपस्वियों की अनुमोदना करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि तपस्या से आत्मजागृति के साथ अद्भुत शक्ति की प्राप्ति होती है ओर हमारा आत्मविश्वास व आत्मबल भी मजबूत होता है। जीवन में तप की महिमा अपरम्परा है, तप के बिना नहीं खुलता मुक्ति का द्वार है। रूप रजत विहार में 24 अगस्त से मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. की 133वीं जयंति एवं एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की 96वीं जयंति के उपलक्ष्य में अष्ट दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव आयोजन का आगाज सामूहिक तेला तप साधना से होने वाला है। इससे पूर्व ही तपस्या की गंगा प्रवाहित हो रही है। मंगलवार को वैरागन बहन पूजा, सुश्राविका प्रीति मोदी एवं सीेमा नाहर ने 9-9 उपवास के प्रत्याख्यान लिए तो पूरा रूप रजत विहार परिसर हर्ष-हर्ष, जय-जय के साथ तपस्वियों की अनुमोदना के जयकारों से गूंजायमान हो उठा। श्रीसंघ के तत्वावधान में तपस्वियों का सम्मान तपस्या की भावना व्यक्त करने वाली श्राविकाओं ने किया। इस अवसर पर श्री अरिहन्त विकास समिति के पदाधिकारियों ने भी अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा के नेतृत्व में वैरागन बहन पूजा का सम्मान किया। जैन कॉन्फ्रेंस महिला शाखा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पा राजेन्द्र गोखरू ने भी वैरागन पूजा का सम्मान किया। साध्वीमण्डल ने तपस्वियों के प्रति हार्दिक मंगलभावनाएं व्यक्त करते हुए उनकी तपस्या की अनुमोदना की। आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने कहा कि तपस्या करने वालों को देखकर जिसने कभी तपस्या नहीं की हो उसके भी भाव जागृत हो जाते है। तपस्या करना आसान नहीं होता है इसके लिए किसी ओर से नहीं अपनी काया से लड़ना होता है। अपनी काया पर विजय प्राप्त करके ही तपस्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि वैरागन पूजा के 9 उपवास की तपस्या के पीछे पूज्य दर्शनप्रभाजी म.सा. से मिली प्रेरणा का भी योगदान रहा। अन्य साध्वीवृन्द ने भी निरन्तर सहयोग व आशीर्वाद मिलने से तपस्वी का मनोबल बढ़ा। मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि तपस्या करने से सबसे बड़ा लाभ स्वयं को होता है ओर हमारी आन्तरिक सफाई होकर आत्मा निर्मल बनती है। तपस्या करने के लिए प्रोत्साहित करने वालों ओर अनुमोदना करने वालों को भी धर्मदलाली का लाभ मिलता है ओर पुण्याजर्न होता है। गुरू चरणों में भावाजंलि व श्रद्धाभाव व्यक्त करने के लिए तपस्या सबसे श्रेष्ठ माध्यम है। धर्मसभा में तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने श्रावक के 12 व्रतों की चर्चा करते हुए कहा कि जब तक व्रत ग्रहण नहीं करे हम खुले है ओर सभी प्रकार के दोष हमे लगते है लेकिन व्रत ग्रहण कर उनको सीमित कर सकते है। जीवन में कभी किसी को गलत सलाह नहीं देनी चाहिए या गलत कार्य के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर जीवन में हमे भी कष्ठ उठाने के साथ भटकाव सहना पड़ता है। धर्मसभा में सेवाभावी साध्वी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा में तपस्वियों की अनुमोदना में प्रेमचंद गुगलिया, लीला जैन, निशा हिंगड़, वैरागन मोना आदि ने गीत व विचार व्यक्त किए। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र सुकलेचा ने बताया कि चातुर्मासिक नियमित प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 10 बजे तक हो रहे है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना का आयोजन हो रहा है। प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र जाप हो रहा है।

गुरू द्वय पावन अष्ट दिवसीय जन्मोत्सव की तैयारियां पूरी

मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. की 133वीं जयंति एवं एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की 96वीं जयंति के उपलक्ष्य में अष्ट दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव आयोजन की तैयारियां पूरी कर ली गई है। जप,तप व साधना से भरपुर इस आयोजन को लेकर श्रावक-श्राविकाओं में उत्साह का माहौल है। जन्मोत्सव का आगाज 24 अगस्त को सामूहिक तेला तप साधना के साथ होगा। अधिकाधिक तेला तप हो इसके लिए साध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. व साध्वीवृन्द द्वारा श्रावक-श्राविकाओं को प्रेरणा प्रदान की जा रही है। पहले दिन उपवास की तपस्या के साथ सुबह 8.30 बजे से सजोड़ा नवकार महामंत्र का जाप होगा। इसी तरह 25 अगस्त को सामूहिक तेला के तहत बेला तप आराधना, तीन सामायिक के साथ सुबह 8.30 बजे से लोगस्स का जाप होगा। महोत्सव के तहत 26 अगस्त को सामूहिक तेला तप पूर्ण होगा एवं गुरू गुणानुवाद कार्यक्रम होगा। इसी तरह 27 अगस्त को सामूहिक तेला तप पारणे के साथ सुबह 8.30 बजे से पैसठिया यंत्र जाप होगा। जन्मोत्सव के तहत 28 अगस्त को सुबह 8.30 बजे से उवसग्गहरं स्तोत्र जाप एवं 29 अगस्त को सुबह 8.30 बजे से श्री घंटाकर्ण महावीर जाप एवं श्रावक की 12 व्रत प्रतिज्ञा कार्यक्रम होंगा। इसी तरह 30 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व मनाने के साथ गुरू मिश्री गुणानुवाद होगा। जन्मोत्सव का समापन 31 अगस्त को महाश्रमण वचनसिद्ध श्री बुधमलजी म.सा. की जयंति मनाने के साथ होगा।

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