सुनिल चपलोत/चैन्नाई। पुण्य रक्षा करता है और पाप मनुष्य को डूबोता है।मंगलवार साहूकार पेठ जैन भवन मे महासती धर्मप्रभा ने तपस्यार्थीयो और सैकड़ों श्रध्दांलूओ को सम्बोधित करतें हुए कहा कि मनुष्य के जब तक पुण्य प्रबल है तो उसका कौई बाल भी बांका नहीं कर सकता है। लेकिन जिस दिन मनुष्य के पुण्य खत्म हो गये और पापो का उदय हो जाने पर उसकी रक्षा भगवान भी नहीं कर सकता है। इंसान जीवन मे कितनी भी दौलत और धन संपदा को प्राप्त कर लेवें लेकिन मरने के प्रश्चात हम अपने साथ एक फूटी कोड़ी भी नहीं ले जा सकता है। हमारे मरने बाद मे हमारे साथ मे कौई जाएगा तो वह धर्म और पुण्य ही जाएगा। धन दौलत साथ मे नहीं जाने वाली है। जितनी हमारी पुण्यवानी बढ़ेंगी उतनी ही हमारी आत्मा निर्मल एवं पवित्र बनेगी। जब तक मनुष्य के जीवन मे काम क्रोध घंमड लोभ और पाप विद्यमान रहेगा, तब तक वो सुख नहीं भोग सकता है,और नाहि अपनी आत्मा का संसार से कल्याण करवा सकता है। पुण्यावानी को बढ़ाने पर ही हम अपनी आत्मा का जगत से कल्याण और उत्थान करवा सकतें है। साध्वी स्नेहप्रभा ने उत्ताराध्ययन सूत्र का वांचन करतें हुए बताया कि पाप पुण्य को शून्य कर देता है और आत्मा को मलिन बना मे कौई कसर नहीं छोड़ता है। पाप हमे दुखः देता है,और पुण्य हमारे जीवन को पवित्र बनातें है। फिर भी मनुष्य अज्ञान मे जीवन जी रहा है और पाप पर पाप करने मे नहीं घबरा रहा है। पाप करने से जीवन मे सम्मान नही मिलने वाला है अपमान ही मिलेगा। मन मे खोट रखकर जो मनुष्य पुण्य करता वह व्यक्ति पुण्या वानी को नहीं बांध सकता है। पुण्यवानी तभी बढ़ सकती है जब व्यक्ति के मन मे करूणा, दया, सहजता सरलता,सेवा की भावना रखकर जो इंसान पुण्य करता है वही पुण्यावानी को बांध सकता है। और समाज मे मान सम्मान को प्राप्त कर सकता है। श्री संघ साहूकार पेठ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने बताया कि इसदौरान धर्मसभा मे सोनिका डागा ने ग्यारह उपवास रितिक सिसोदिया, हर्षित बाफना, रविना वैदमूथा एवं रिध्दी कांकलिया नो उपवास तथा अनेक भाई -बहनों ने पांच और चार उपवास के साध्वी धर्मप्रभा से प्रत्याख्यान लिए। उन सभी का श्री एस. एस. जैन संघ साहूकार पेठ के अध्यक्ष एम. अजितराज कोठारी, सज्जनराज सुराणा, माणक चन्द खाबिया, हस्तीमल खटोड़, महावीर कोठारी, जितेन्द्र भंडारी, सुरेश डूगरवाल, बादल चन्द कोठारी,मोतीलाल ओस्तवाल, शांतिलाल दरड़ा, शम्भूसिंह कांवड़िया अशोक सिसोदिया, संजय खाबिया, ज्ञानचन्द्र चौरड़िया, सुभाष काकलिया आदि पदाधिकारीयो और जैन संस्कार युवा मंडल, जैन संस्कार महिला शाखा की बहनों और उपनगरों से पधारे जैन समाज के गणमान्य अतिथीयो मे जे.अमरचन्द कोठारी,जे विजयराज कोठारी,पूरणमल कोठारी, इन्द्रचन्द्र छल्लाणी, सुनिल डूगरवाल, महेन्द्र बाफना, महावीर आदि अतिथीयो और सैकड़ों श्रध्दांलूओ की उपस्थिति मे तपस्यार्थीयो को शोल माला चुंदड़ी और चांदी का सिक्का देकर बहूमान करते हुए तप की सभी ने अनूमोदना की।