हमारे भीतर जितना कम मैलापन बाहर होगा उतना कम क्लेश, अंतर मन शुद्धि के लिए तीन दिवसीय शिविर का समापन
सुनील पाटनी/पूना। चतुर श्रावक/श्राविका वहीं होते है जो संसार में रहकर भी आत्मा पर दाग नहीं लगने देते है। आदर्श श्रावक उस बादल के समान होते है जो खारा पानी लेकर मीठा पानी बरसाता है वैसे कुटता लेकर मधुरता प्रदान करते है। जैसे माली पौधे का ध्यान रखता है उसी तरह श्रावक अपनी आत्मा का ध्यान रखे। श्रावक का जीवन दर्पण के समान होना चाहिए यानि कथनी ओर करनी में कोई अंतर नहीं रहना चाहिए। आदर्श श्रावक का जीवन जीने पर भीतर गदंगी जमा होने की आशंका बहुत कम हो जाएगी। समय-समय पर इनर क्लीनिंग कर अपना इनर वर्ल्ड मजबूत बनाते रहे। ये विचार पुण्यनगरी पूना के आदिनाथ सोसायटी जैन स्थानक भवन ट्रस्ट के तत्वावधान में पारख धर्मसभा मण्डप में श्रमणसंघीय वरिष्ठ सलाहकार सुमतिप्रकाश महारासा के सुशिष्य आगमज्ञाता प्रज्ञामहर्षि श्री डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने रविवार को इनर वर्ल्ड (अंतरात्मा) को मजबूत (स्ट्रॉंग) बनाने इनर क्लीनिंग (अंतर मन शुद्धि) के लिए तीन दिवसीय विशेष शिविर के अंतिम दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इनर क्लीनिंग से हमारे भीतर की गदंगी दूर होने पर आत्मा संसार सागर में डूबेगी नहीं। इनर क्लीनिंग से भीतर का कचरा साफ होने के साथ आत्मा व शरीर स्वयं को हल्का महसूस करते जाएंगे। भीतर जितना कम मैलापन होगा बाहर उतना ही कम क्लेश होगा। भीतर की सफाई के बिना बाहर शांति कायम नहीं रह सकती। मुनिश्री ने शुरू में इनर वर्ल्ड मजबूत बनाने के लिए इनर क्लीनिंग का अभ्यास कराते हुए कहा कि आंखें बंद कर ये महसूस करें कि मेरे भीतर अनंत शांति का सागर लहरा रहा है। अनंत आनंद का दरिया बह रहा है। अनंत सागर का भाव बह रहा है। इस तरह की भावना मन में महसूस करेंगंे तो स्वयं को बहुत सहज व हल्का महसूस करेंगे। धर्मसभा में सरलमना श्री विजयमुनिजी म.सा. ने श्रावक के तीन मनोरथ पर गीतिका प्रस्तुत की। गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने प्रेरणादायी गीत ‘‘नफरत करें जो हमसे हम उनको प्यार करें’’ की प्रस्तुति दी। पूज्य प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा., सेवाभावी श्री भूषणमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में नासिक से पधारे समकित ग्रुप के अध्यक्ष कांतिलाल लोढ़ा का श्री आदिनाथ संघ की ओर से स्वागत-सम्मान किया गया। धर्मसभा में पूना महानगर के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे। धर्मसभा का संचालन एवं अतिथियों का स्वागत आदिनाथ स्थानकवासी जैन भवन ट्रस्ट पूना के अध्यक्ष सचिन रमेशचन्द्र टाटीया ने किया। चातुर्मासिक प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 से 9.45 बजे तक हो रहे है।
प्रतिदिन करें तीन मनोरथ का चिंतन विपुल कर्मो की होगी निर्जरा
समकितमुनिजी ने भीतर की कड़वाहट दूर करने के लिए श्रावक-श्राविकाओं को एक नियम का संकल्प कराया कि प्रतिदिन सुबह विपुल कर्मो की निर्जरा करने वाले श्रावक के तीन मनोरथ का चिंतन अवश्य करें। इन मनोरथ में पहला वह दिन मेरा धन्य होगा जिस दिन में आरंभ परिग्रह से निवृत होउंगा, दूसरा वो दिन मेरा धन्य होगा जिस दिन में संसार का त्याग कर पंच महाव्रत अंगीकार करूंगा। तीसरा वह वो दिन मेरा धन्य होगा जिस दिन में संलेखना संथारा सहित पंडित मरण प्राप्त करूंगा। इसके साथ ही प्रतिदिन सुबह उठते ही 11 बारे ये दोहराए ‘‘मैं शांत आत्मा हूं’’। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन ऐसा करने पर हमारे अर्न्तमन में ये पावरफूल शब्द गूजेंगे। इससे हमारे मन व शरीर पर जैसा हम चाहते वैसा प्रभाव पड़ना शुरू हो जाएगा। प्रतिदिन श्रावक के तीन मनोरथ दोहराने पर हमे हल्कापन अनुभव होगा ओर महसूस करेंगे कि जिस स्थिति में पहले लड़ने-भिड़ने को तैयार हो जाते थे उसे इग्नोर करना सीख गए है। इससे भीतर का कचरा साफ होता जाएगा।
हमारे विचार ओर शब्द हमेशा हो हाई एनर्जी वाले
प्रज्ञामहर्षि समकितमुनिजी ने कहा कि अनादिकाल से जमी आत्मा की गदंगी साफ करने के लिए हमारे विचार ओर शब्द दोनों हाई एनर्जी वाले होने चाहिए। हमने इन पर ध्यान केन्द्रित कर लिया तो गलत शब्द व गलत विचार दोनों से मुक्त होते जाएंगे। हम गाली व अभद्र शब्द का उपयोग कर लो एनर्जी का स्टोर करते है। जिसका स्वयं पर ओर परिवार पर नकारात्मक प्रभाव होता है। सत्संग से भी हाई एनर्जी मिलती है। उन्होंने कहा कि सामायिक साधना में अपनी सोच हाई एनर्जी वाली होने से बॉडी रिलेक्स महसूस करती है। सामायिक के नियम कहते आपकी सोच ओर शब्द दोनों हाई एनर्जी वाले हो। समय-समय पर इस एनर्जी ड्रिंक को लेते रहना है ओर बोलते समय प्रयास रहे कि हमारे शब्द हाई एनर्जी वाले हो। मेरे पास वक्त नहीं जैसे, तुम किसी काम के नहीं जैसे लो एनर्जी शब्द का उपयोग करने से पूरे शरीर में तनाव होता है। लो एनर्जी वाले लोग तारीफ के बीच भी कमी तलाश लेते है। घर के अंदर व बाहर ऐसे शब्दों का उपयोग करने से बचना चाहिए।
पर्युषण पर्व में तपस्या व सामायिक साधना के लिए विशेष कूपन जारी
धर्मसभा में पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि हमने 12 से 19 सितम्बर तक मनाए जाने वाले पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की तैयारियां शुरू कर दी है। तपस्या ओर सामायिक के लिए डायमण्ड, गोल्डन व सिल्वर कूपर भी जारी किए जा रहे है। प्रत्येक श्रावक-श्राविका को अपने घर के हर सदस्य के लिए कोई न कोई कूपन अवश्य प्राप्त करना है। इसके तहत पर्युषण में उपवास की अठाई पर डायमण्ड, आयम्बिल की अठाई पर गोल्डन व एकासन की अठाई पर सिल्वर कूपन मिलेगा। इसी तरह 10 से लेकर 19 सितम्बर तक 108 सामायिक पर डायमण्ड, 81 सामायिक पर गोल्डन एवं 51 सामायिक पर सिल्वर कूपन मिलेगा। पौषध आराधना का कूपन भी अलग से तैयार किया गया है।
21 दिवसीय उवसग्गहर स्रोत साधना मंगलवार से शुरू
चातुर्मास के तहत 22 अगस्त से 10 सितम्बर तक 21 दिवसीय उवसग्गहर स्रोत साधना शुरू हो रही है। इसमें बीस दिन तपस्या के एवं एक दिन पारणे का रहेगा। इसके तहत पांच राउण्ड होंगे प्रत्येक राउण्ड में पहले दिन निवि, दूसरे दिन पोरसी, तीसरे दिन एकासन एवं चौथे दिन बियासना की आराधना होगी। इस साधना में भाग लेने वालों का सामूहिक पारणा 21वें दिवस 10 सितम्बर को होगा। चातुर्मास में 24 अगस्त को आराध्य गुरूदेव पूज्य फूलमुनिजी म.सा. की दीक्षा जयंति मनाई जाएगी।
रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में विशेष आयोजन 27 अगस्त को
रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में 27 अगस्त को पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में विशेष कार्यक्रम का आयोजन होगा। इससे पूर्व 26 अगस्त को ननद-भाभी के रिश्तों पर आधारित विशेष प्रवचनमाला ‘‘किस्सा ननद भाभी का-किस्सा अनारकली सूट का‘’ आयोजन होगा। पूज्य मुनिश्री की प्रेरणा से जैन संस्कृति ब्रिज के माध्यम से होने वाले सामूहिक रक्षाबंधन कार्यक्रम में 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए तीन वर्ग 6 से 9, 10 से 12 एवं 13 से 15 वर्ष में राखी मैकिंग कम्पीटिशन होगा। राखी बच्चों को घर से बनाकर लानी होगी। इसी तरह 16 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए रक्षाबंधन संदेश प्रतियोगिता होगी। रक्षाबंधन विशेष कार्यक्रम में उत्कृष्ट भाई-बहन पारंपरिक वेशभूषा प्रतियोगिता (ब्रदर-सिस्टर बेस्ट ट्रेडिशनल ड्रेसअप कंपीटिशिन) भी होगी।