Monday, November 25, 2024

‘‘पर्यूषण-संवत्सरी महापर्व पर क्षमा को जीवन में उतारने का आव्हान’’

‘‘क्षमा वीरस्य भूषणम्’’

अमित गोधा/ब्यावर। श्री वर्द्धमान शिक्षण समिति द्वारा संचालित श्री वर्द्धमान कन्या पी. जी. महाविद्यालय में आज दिनांक 19 अगस्त 2023, शनिवार को ‘‘पर्यूषण-संवत्सरी महापर्व’’ की प्रांसगिकता एवं महत्व पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंत्री डॉ. नरेन्द्र पारख ने संवत्सरी महापर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस महापर्व का एक मात्र उद्देश्य आत्मा का विकास है जिसमें सब अपनी क्षमतानुसार अपनी आत्मा की शुद्धि करते है। यह पर्व मात्र जैन धर्म का ही नहीं बल्कि यह सार्वभौम पर्व है। संवत्सरी एक ऐसा अवसर है जो हमें महाविनाश से महानिर्माण की ओर अग्रसर करते हुए जीवन निर्माण की प्रेरणा देता है। पर्यूषण पर्व सात दिन त्याग, तपस्या, शास्त्र-श्रवण व धर्म आराधना के साथ मनाने के बाद आठवें दिन संवत्सरी महापर्व के रूप में मनाया जाता है। एक दूसरे से क्षमा याचना कर मैत्री भाव की ओर कदम बढ़ाते है। इस दिन वर्ष पर्यन्त किये गये पापों के लिए प्रायश्चित कर अपने मन को निर्मल बना सकते है। अतः हमें हृदय से अपने किये गये कर्मों की समालोचना करनी चाहिए। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में महाविद्यालय में संचालित ‘‘जीवन विज्ञान एव जैन विद्या’’ विषय की व्याख्याता श्रीमती सुनीता जैन ने अपने उद्बोधन में बताया संवत्सरी पर्व जैन धर्म का नववर्ष प्रारंभ है। यह हमें वर्ष पर्यन्त संयम प्रधान जीवन जीने हेतु प्रेरणा देता है, सृष्टि कर्म प्रधान है हमें कर्म निर्जरा प्रधान जीवन जीना चाहिए। प्राचार्य डॉ. आर. सी. लोढ़ा ने बताया कि संवत्सरी शुद्ध रूप से आत्म निरीक्षण, आत्म चिंतन, आत्म मंथन व आत्म शोधन का पर्व है। उन्होनें बताया कि जप तप ध्यान स्वाध्याय के द्वारा क्रोध, मान, माया, लाभ, राग, द्वेष आदि आंतरिक शत्रुओं का नाश होगा तभी आत्मा अपने स्वरूप में अवस्थित होगी। कार्यक्रम का संचालन व्याख्याता श्रीमती प्रीति शर्मा ने किया। इस अवसर पर समिति अध्यक्ष शांतिलाल नबरिया तथा सभी संकाय सदस्य, बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं। महाविद्यालय अकादमिक प्रभारी डॉ. नीलम लोढ़ा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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