जयपुर। शहर के दक्षिण भाग के प्रताप नगर सेक्टर 8 स्थित श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में दो जैन दीक्षार्थियों की भव्य बिनौली यात्रा और गोद भराई का कार्यक्रम शनिवार 19 अगस्त को आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में आयोजित होगा। ब्रह्मचारी राजकुमार गंगवाल की दीक्षा 23 अगस्त को राजधानी के आमेर स्थित पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में उपाध्यक्ष उर्जयन्त सागर महाराज के करकमलों द्वारा संपन्न होगी और ब्रह्मचारिणी विमला दीदी की दीक्षा कर्नाटक के श्रवणबेलगोला (गोमटेश्वर बाहुबली) में गणिनी आर्यिका रत्न विशुद्धमति माताजी की शिष्या गणिनी आर्यिका रत्न विशिष्टमति माताजी के द्वारा विजय दशमी वाले दिन जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान की जाएगी। श्री पुष्पवर्षयोग समिति कार्याध्यक्ष दुर्गालाल जैन और मुख्य समन्वयक गजेंद्र बड़जात्या ने बताया की शनिवार को सायं 6.15 बजे से संत भवन में आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में दोनो दीक्षार्थियों का परिचय करवाया जायेगा साथ ही समाज गणमान्य श्रेष्ठीजन अपना संबोधन करेगे, इसके उपरांत भगवान शांतिनाथ स्वामी व आचार्य सौरभ सागर महाराज की मंगल आरती की जाएगी। जिसके बाद श्री पुष्प वर्षायोग समिति, शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर समिति, जैन महिला मंडल, जैन युवा मंडल, विशुद्ध वर्धनी बहु कला मंडल और धर्म जागृति महिला मंडल सहित जयपुर जैन समाज के गणमान्य राजीव जैन गाजियाबाद वाले, रमेश आलोक जैन तिजारिया, कोषाध्यक्ष धर्मचंद जैन, राजस्थान जैन सभा कार्यकारिणी सदस्य जितेंद्र गंगवाल, प्रचार संयोजक सुनील साखुनियां, चेतन जैन निमोडिया, बाबूलाल जैन इटुंदा, महेश सेठी, नरेंद्र जैन आंवा वाले, राजेंद्र सोगानी, कमल सोगानी सहित बड़ी संख्या में उपस्थित जनसमूह की मौजूदगी में सायं 7.30 बजे दिक्षार्थियो को रथ में बैठाकर बैंड-बाजों और जयकारों के नगर यात्रा निकाल बिनौली यात्रा करवाई जायेगी, यह यात्रा संत भवन से प्रारंभ होकर विभिन्न मुख्य मार्गो से होते हुए मंदिर जी पर आकर संपन्न होगी। अंत में रात्रि 8.30 बजे मंदिर प्रांगण पर प्रताप नगर सेक्टर 8 जैन समाज की ओर से समिति अध्यक्ष कमलेश जैन और मंत्री महेंद्र जैन सहित कार्यकारिणी की उपस्थिति में दीक्षार्थियों की गोद भराई कार्यक्रम का शुभारंभ किया जायेगा, जिसके पश्चात समाज बंधुओ द्वारा गोद भराई की जायेगी।
गुरु जीवन को साक्षर नहीं सार्थक करते है: आचार्य सौरभ सागर
शुक्रवार को संत भवन में श्रद्धालुओं को अपने आशीर्वचन में आचार्य सौरभ सागर महाराज ने कहा की – गुरु हमारे जीवन को साक्षर नहीं सार्थक करते है। श्रावक परमात्मा से मिलने के पूर्व जीते जी परमात्मा के प्रतिनिधि गुरु को स्वीकार करता है। गुरु को स्वीकार किए बिना परमात्मा तक नहीं पहुंचा जा सकता है। परमात्मा से मिलने वाले गुरु होते है; जो दिगंबर गुरु को स्वीकार किए बिना ही परमात्मा को पाना चाहता है वह बिना पुत्र बने पिता बनने का दुस्साहस करता है। इसलिए कबीरदास जी ने परमात्मा से ज्यादा महत्व गुरु को दिया है; क्योंकि गुरु अंगुली पकड़कर परमात्मा के द्वार तक ले जाते है। इसलिए पथ – प्रदर्शक गुरु को प्रथम स्वीकार किया गया है।