मानवता के मसीहा थे, श्रमण संघ के आचार्य आनन्द ऋषि महाराज: साध्वी प्रितीसुधा
भीलवाड़ा। जैसा नाम वैसा काम था आचार्य आंनद ऋषि जी महाराज का। बुधवार को अहिंसा भवन शास्त्री नगर मे प्रखर वक्ता डॉ.प्रिती सुधा ने श्रमणसंघ के दित्तीय पटट्धर आचार्य आनन्द ऋषि जी महाराज कि 123 वीं जन्मजयंती समारोह मे गुणगान करतें हुए श्रध्दांलूओ से कहा कि आनंद ऋषि मानव के देवता और गरीबों के मसीहा थे। महाराष्ट्र के छोटे गांव मे जन्म लेकर श्रमण संघ के आचार्य बने। आचार्य श्री ने धर्म से विमुख हो चुके प्राणीयों को धर्म कि राह दिखाई आचार्य श्री के पास अनेकों भक्त रोते हुए आते थे और हंसते -हंसते विदा होते थे आचार्य श्री कि जन्म जयंती मनाना तभी सार्थक होगा जब हम उनके बताये धर्म के मार्ग चलेगे तभी हमारा जन्मोत्सव मनाना सार्थक सिध्दि हो सकता है। साध्वी मधूसुधा ने कहा कि आचार्य श्री करूणा के देवता मानव के मसीहा थे। नवदिक्षीता साध्वी संयमसुधा ने भजन के माध्यम से भाव व्यक्त कियें। आचार्य आनंद ऋषि जी महाराज कि जन्म जयंती के उपल्क्षय मे दौ चालीस भाई -बहनों ने साध्वी प्रितीसुधा की प्रेरणा पर सामूहिक रूप अहिंसा भवन शास्त्री नगर आयंबिल तप के प्रत्याख्यान लिए। आयंबिल तप आयोजन के मुख्य लाभार्थी ओमप्रकाश – अंजना सिसोदिया, अशोक-मंजू पौखरना, हेमन्त-उमा आंचलिया का अहिंसा भवन के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बाबेल, रिखबचंद पीपाड़ा कूशलसिंह बूलिया, हिम्मतसिंह बाफना राजेंद्र चीपड़ आदि पदाधिकारियों और चंदनबाला महिला मंडल की अध्यक्षा नीता बाबेल, महामंत्री रजनी सिंघवी सुनिता झामड़, मंजू बाफना लता कोठारी, लाड़ मेहता, अन्नू बापना, अंकिता सांड आदि सभी ने आयंबिल तप के लाभार्थीयो का पगड़ी शोल माला पहनाकर सम्मान किया गया। इस दौरान महिला मंडल की बहनो द्वारा आनन्द ऋषि के जीवन पर नाटिका मंचन किया गया और श्री संघ एवं महिला मंडल पदाधिकारियों ने आचार्य आनन्द ऋषि के गुणवान कियें।
प्रवक्ता निलिष्का जैन, भीलवाड़ा