शहनाई से बहने लगी सुरो की गंगा
जयपुर। शहनाई के सुरो से हुआ सुरीला मांगलिक वाद्य शहनाई को अपनी असरदार श्वास से चैतन्य किया कोलकाता के शहनाई कलाकार हसन हैदर खा ने। श्रुति मंडल के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय शास्त्रीय संगीत संध्या के पहले दिन कोलकाता के शहनाई कलाकार हसन हैदर खान अपने कार्यक्रम की शुरुआत राग गोरख कल्याण से की। उन्होंने तीन ताल मध्यलय में शहनाई के सुरो को इतने सुरीली ढंग से पेश किया कि दर्शक वाह-वाह कर उठे। इसके बाद उन्होंने झुमरा ताल, 14 मात्रा में शहनाई के शुरू को छेड़ कर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब की याद को ताजा कर दिया। इसके बाद उन्होंने एक धुन पहाड़ी में बजाई और बिस्मिल्लाह खान साहब की कुछ चीरपरिचित धुने जैसे कजरी, दादरा, चेती सुना कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इनके साथ तबले पर प्रीतम चक्रवर्ती, दुकड़ पर नजिम् हुसैन, सपोर्ट शहनाई में जाकिर हुसैन, मोहम्मद जाहिद अली और मास्टर जैन अब्बास खान ने शहनाई बजाकर कार्यक्रम को सुनीला बना दिया। तानपुरे पर दीपक और आयाम ने संगत की ल हसन हैदर खान ने शहनाई की तालीम उस्ताद अली अहमद हुसैन खान से प्राप्त की। कार्यक्रम का संचालन अनंत व्यास ने किया और सभी का आभार व्यक्त किया प्राचीन सुराणा ने।