प्रकाश पाटनी/भीलवाड़ा। 15 अगस्त को आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रुत स॔वेगी श्रमण मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में 77 वे स्वतंत्रता दिवस उत्साह उमंग के साथ मनाया गया। प्रातः शिवाजी पार्क से तिरंगा यात्रा बैंड बाजों के साथ निकली। पुरुष श्वेत वस्त्र में, महिलाएं केसरिया साड़ी में राष्ट्रध्वज लिए जयकारा करते चल रहे थे। तिरंगे रंगों के दुपट्टे, पगड़ी पहने हुए थे। बड़ी संख्या में पुरुष- महिलाएं, युवा उमंग उत्साह देखते ही बन रहा था। तिरंगा यात्रा मंदिर प्रांगण पर पहुंची। जहां गुब्बारों फरियों से सजा रखा था। दिलीप अजमेरा के संचालन में आयोजित स्वतंत्र दिवस कार्यक्रम में मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेश गोधा ने राष्ट्रध्वज को फहराया। भारत माता की जय हो, वंदे मातरम के नारों से सारा वातावरण गूंज उठा। इस उपरांत सजे-धजे पंडाल में श्रुत स॓वेगी मुनिश्री आदित्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में स्वतंत्रता दिवस महोत्सव पर कई देशभक्ति के गीतो के सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई। इस अवसर पर मुनि श्री आदित्य सागर महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि 76 वर्ष पूर्व भारतवासियों का देश आजाद हुआ। उसमें धर्म का हिस्सा भी रहा। सरहदों पर सैनिकों ने जो रक्षा की है। उसे भुलाया नहीं जा सकता। यदि देश की रक्षा नहीं होगी, तो धर्म की रक्षा कैसे होगी। मुनिश्री ने कहा कि 1857 में ग्वालियर में अमरचंद बाठिया जैन श्रावक को चौराहे पर गोली मार दी थी। शरीर वही लटका रहा। देश की आजादी में जैन श्रावकों की महती योगदान रहा। मुनीश्री ने कहा कि आज पाश्चात- पश्चिमी सभ्यता अपना कर विदेशी वस्तुएं खरीद रहे हैं। देश को पुनः परतंत्र कर रहे हैं। मुनिश्री ने कहा कि मुनी से सीखो धैर्य क्या होता है। तुम भी मुनि बन सकते हो। दुख- सुख में मध्यस्थता रखें।