जयपुर। अ.भा.दिग.जैन विद्वत्परिषद् की टोडरमल स्मारक भवन जयपुर में आयोजित आध्यात्मिक शिक्षण शिविर में प्रो. डॉ. वीरसागरजी जैन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी सम्पन्न हुई जिसका विषय- “वर्तमान संदर्भ में विद्वत्परिषद् की भूमिका एवं विद्वानों का कर्तव्य” था। मुख्य अतिथि जस्टिस एन.के. जैन जयपुर पूर्व मुख्य न्यायाधीश असम एवं अध्यक्ष- मानवाधिकार आयोग मध्यप्रदेश, विशिष्ट अतिथि मिलापचन्द डंडिया जयपुर वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रो.डॉ. ऋभषचन्द फौजदार एकलव्य विश्व विद्यालय दमोह थे। मंगलाचरण पण्डित मोहित जैन ने किया। अतिथियों का स्वागत तिलक एवं माल्यार्पण द्वारा किया गया। संगोष्ठी में सर्वप्रथम राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अखिल बंसल ने विद्वत् परिषद् का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। तत्पश्चात राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय जैन दौसा ने विद्वत् परिषद् द्वारा शोधात्मक कार्य करने की बात रखी जिसमें पाण्डुलिपि संरक्षण एवं प्रकाशन मुख्य हैं। वरिष्ठ उपाध्यक्ष पण्डित अभयकुमार जैनदर्शनाचार्य देवलाली ने प्रमुख जैन सिद्धान्तों को विधानों के माध्यम प्रचारित करने संबंधी विचार रखे। महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ. शुद्धात्म प्रभा टडैया ने जैन पाठशालाओं में महिलाओं को भागीदारी की प्रेरणा दी। उन्होंने बताया कि विद्यालय स्तरीय हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम के पाठ्यक्रम बनाये हुए हैं। कार्याध्यक्ष डॉ. शान्तिकुमार पाटिल ने प्राचीन संस्था के माध्यम से समाज में निर्विवाद कार्य करने करने पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि प्रो. डॉ. ऋषभचन्द फौजदार ने वैशाली के विकास एवं संरक्षण की आवश्यकता बताई। इसी प्रकार से सुप्त हो रहे जैन प्राकृत विभागों को सक्रिय करने , पद भरवाने में समाज के सहयोग के लिए आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि मिलापचन्द डंडिया ने विद्वान एवं विद्वत् संस्थाओं से निष्पक्ष रहकर जिनवाणी की सेवा करने की अपील की। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति एन.के. जैन ने जैन धर्म के प्रचार प्रसार में , जैन पुरातत्व/ इतिहास के संरक्षण एवं विकास में कानूनी पक्ष को रखा जिसके आधार से गतिविधियों को संवैधानिकता एवं गुणावत्ता पूर्ण बनाया जा सके।
सभाध्यक्ष प्रो.डा. वीरसागरजी जैन राष्ट्रीय अध्यक्ष ने विद्वत् परिषद् द्वारा किसी की आचोलना किये विना रचनात्मक कार्य करने की रीति नीति स्पष्ट की। उन्होंने कहा इससे आत्म कल्याण के साथ प्रचार कार्य को अधिक ऊर्जा के साथ किया जा सकता है। सभी दुःखों से निर्वृत्ति का एक मात्र उपाय अज्ञान को दूर करना है और उसके लिए स्वाध्याय श्रेष्ठ साधन है। विद्वत् परिषद् इस कार्य को प्रमुखता से करेगी ऐसा संकल्प व्यक्त किया। मंच पर पण्डित कमलकुमार जैन पिडावा, उपाध्यक्ष पण्डित ऋषभ शाह अहमदाबाद, शिक्षा मंत्री डॉ. प्रवीण जैन शास्त्री ढाई द्वीप इन्दौर , कोषाध्यक्ष पण्डित पीयूष जैन शास्त्री, प्रचार मंत्री आकाश शास्त्री, मीडिया प्रभारी पण्डित अनेकान्त शास्त्री की गौरवमयी उपस्थिति रही। अन्त में आभार प्रदर्शन संगठन मंत्री डॉ.अरविन्दकुमार जैन ने किया। संगोष्ठी का सफल संयोजन एवं संचालन डॉ. अखिल बंसल द्वारा किया गया।