Sunday, November 10, 2024

एकता, अखंडता और बलिदान के प्रतीक स्वतंत्रता दिवस के असल मायने

डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर

भारत एक ऐसा देश है जहां करोड़ों लोग विभिन्न धर्म, परंपरा, और संस्कृति के एक साथ रहते हैं और स्वतंत्रता दिवस के इस उत्सव को पूरी खुशी के साथ मनाते हैं। इस दिन, भारतीय होने के नाते, हम गर्व तो महसूस करते ही हैं हमें ये वादा भी करना चाहिये कि हम किसी भी प्रकार के आक्रमण या अपमान से अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये सदा देशभक्ति से पूर्णं और ईंमानदार रहेंगे।
77वां स्वतंत्रता दिवस हमारे बीच दस्तक दे रहा है। हम सब जानते हैं कि सदियों की गुलामी के पश्चात् 15 अगस्त सन् 1947 के दिन हमारा भारत देश आजाद हुआ था। पहले हम अंग्रेजों के गुलाम थे। उनके बढ़ते हुए अत्याचारों से सारे भारतवासी त्रस्त हो गए और तब विद्रोह की ज्वाला भड़की और भारत देश के अनेक वीरों ने प्राणों की बाजी लगाई, गोलियां खाई और अंतत: आजादी पाकर ही चैन लिया।
15 अगस्त हमेशा हमारे लिए इतना खास रहा है कि एक दिन जब हम अपने देश की सारी महिमा याद करते हैं क्योंकि हम संघर्ष, विद्रोह और भारतीय स्वतंत्रता से लड़ने वाले भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों को याद करते हैं। भारत का स्वतंत्रता दिवस न केवल ब्रिटिश राज के शासन से भारत की आजादी को दर्शाता है, बल्कि यह इस देश की शक्ति को भी दिखाता है और ये दिखाता है कि जब वह इस देश के सभी लोगों को एकजुट करता है ।
खुशनसीब हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं,
मरकर भी वो लोग अमर हो जाते हैं।
करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों,
तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब बसता है।।

ब्रिटीश शासन से 15 अगस्त 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली। आजादी के बाद हमें अपने राष्ट्र और मातृभूमि में सारे मूलभूत अधिकार मिले। हमें अपने भारतीय होने पर गर्व होना चाहिये और अपने सौभाग्य की प्रशंसा करनी चाहिये कि हम आजाद भारत की भूमि में पैदा हुए है। गुलाम भारत का इतिहास सबकुछ बयाँ करता है कि कैसे हमारे पूर्वजों ने कड़ा संघर्ष किया और फिरंगियो की क्रूर यातनाओं को सहन किया। भारत आजाद हो पाया क्योंकि सहयोग, बलिदान और सभी भारतीयों की सहभागिता थी। हमें महत्व और सलामी देनी चाहिये उन सभी भारतीय नागिरकों को क्योंकि वो ही असली राष्ट्रीय अभिनेता थे।
हमें धर्मनिरपेक्षता में भरोसा रखना चाहिये और एकता को बनाए रखना है, एक दुसरे से लडाई झगड़े न करे, अपने सभी छोटे और बड़े लोगों को प्यार, सम्मान दें। हमें देश का जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, किसी भी आपात स्थिति के लिये हमेशा तैयार रहना चाहिये। देश के लिए जान देने को कभी भी तैयार रहना चाहिए.
हमलोग काफी भाग्यशाली हैं कि हमारे पूर्वजों ने हमें शांति और खुशी की धरती दी है जहाँ हम बिना डरे पूरी रात सो सकते हैं। हमारा देश तेजी से तकनीक, शिक्षा, खेल, वित्त, और कई दूसरे क्षेत्रों में विकसित कर रहा है जो कि बिना आजादी के संभव नहीं था। परमाणु ऊर्जा में समृद्ध देशों में एक भारत है। ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स जैसे खेलों में सक्रिय रुप से भागीदारी करने के द्वारा हम लोग आगे बढ़ रहे हैं। हमें अपनी सरकार चुनने की पूरी आजादी है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का उपयोग कर रहे हैं। हाँ, हम मुक्त हैं और पूरी आजादी है हालाँकि हमें खुद को अपने देश के प्रति जिम्मेदारीयों से मुक्त नहीं समझना चाहिये। देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, किसी भी आपात स्थिति के लिये हमें हमेशा तैयार रहना चाहिये।
भले ही हमने वह समय ना देखा हो, लेकिन हम उस महत्वपूर्ण समय को बहुत अच्छी तरह से महसूस कर सकते हैं जब हमारे देश को वास्तव में स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। हम इस देश के नागरिक होने पर गर्व महसूस करते हैं। हालांकि, आजादी से कई वर्ष पहले 1929 में ही आजादी की घोषणा कर दी गई थी और इस दिन को पूर्ण स्वराज का नाम दिया गया था। इसकी घोषणा भारतीय ध्वज फहराने के साथ महान स्वतंत्रता सेनानियों, महात्मा गांधी और अन्य लोगों द्वारा की गयी थी। यह वास्तव में सभी भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण क्षण था। यह समझना काफी महत्वपूर्ण है कि भले ही भारत ने वर्ष 1947 में अपने आजादी को प्राप्त किया हो, परन्तु फिर भी 1950 के दशक में भारत का स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में आधिकारिक संविधान लागू किया गया। इस बीच की 3 वर्ष की अवधि को हम परिवर्तनकाल का समय कह सकते है।
महात्मा गांधी जी या जिन्हें हम आम तौर पर बापू के नाम से संबोधित करते हैं स्वतंत्रता प्राप्त करने में मुख्य रूप से योगदान देने वाले सबसे अहम व्यक्तित्वों में से एक थे। उन्होंने हिंसा या रक्तपात के मार्ग का पालन न करके स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये अहिंसा के मार्ग को चुना।
इस दिन का ऐतिहासिक महत्व है इस दिन की याद आते ही उन शहीदों के प्रति श्रद्धा से मस्तक अपने आप ही झुक जाता है जिन्होंने स्वतंत्रता के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी.
इसलिए हमारा पुनीत कर्तव्य है कि हम हमारे स्वतंत्रता की रक्षा करें, देश का नाम विश्व में रोशन हो, ऐसा कार्य करें. देश के प्रगति के साधक बने न कि बाधक।
चलो फिर से वह नजारा याद कर लें,
शहीदों के दिल में थी वो ज्वाला याद कर लें।
जिसमे बहकर आज़ादी पहुंची थी किनारे,
देश भक्तो के खून की वो धारा याद कर लें।।
इस देश के नागरिक होने के नाते हमारा ये फर्ज बनता है की घूस, जमाखोरी, कालाबाजारी, भ्रष्टाचार को देश से समाप्त करें.भारत के नागरिक होने के नाते स्वतंत्रता का न तो स्वयं दुरूपयोग करें और न दूसरों को करने दें.
जिस आजादी के लिए हमारे देश के लाखों वीर- सपूतों ने कुर्बानियां दीं, जिस आजादी की कल्पना करके उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया, क्या हम उस आजादी का मतलब समझते हैं? आजाद भारत के नागरिक तो हैं, लेकिन एक आदर्श नागरिक का जो कर्तव्य और आचरण होना चाहिए, क्या वह हमारे अंदर है? एक आजाद देश में हमें जो अधिकार मिले हैं, हम उसका सदुपयोग कर रहे हैं? अगर कर रहे होते, तो क्या आज आजादी के 76 सालों बाद हमारे देश की यह हालत होती? आखिर हमें आजादी क्या इसीलिए मिली है कि मौका मिलते ही हम नियम- कानून को अपने हाथ में लेकर अपनी मनमर्जी करें? अपनी सुख- सुविधाओं की खातिर दूसरों के अधिकारों का हनन करें? मौका मिलते ही जाति और धर्म के नाम पर एक- दूसरे के खून के प्यासे होकर दंगे करें? क्या हमारे लिए यही है आजादी का मतलब? क्या आजादी का मतलब राह चलती महिलाओं- लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करना, अपने पड़ोसियों को परेशान करना, करप्शन को बढ़ावा देना है? क्या हमारे लिए आजादी के यही मायने हैं? आज आजादी की सालगिरह पर आइए हम जरा अपनी गिरेबां में झांकें और तय करें कि हमारे लिए आजादी का मतलब क्या है.
इतना ही कहना काफी नही भारत हमारा मान है।
अपना फ़र्ज़ निभाओ देश कहे हम उसकी शान है ।।
आजादी का मतलब यह नहीं है कि हमारे लिए संविधान में जो अधिकार मिले हैं, उसका हम दुरुपयोग करें। हमारे देश के संविधान निर्माताओं ने हम अच्छे नागरिक के तौर पर या सभ्य नागरिक के रूप में रहें, इसलिए कानून बनाया है। लेकिन, आज कानून को अपने हाथ में लेकर अपनी मनमर्जी करना लोगों की फितरत बन गई है। काननू को तोड़ना लोग अपनी शान समझते हैं। मुहल्लों, कॉलोनीज, बस्तियों से लेकर रोड और गलियों तक में फैली गंदगी के लिए हमलोग रोना रोते हैं। इसके लिए नगर निगम, नगर पालिका और दूसरी संस्थाओं को ब्लेम करते हैं, लेकिन क्या कभी हम सोचते हैं कि जगह- जगह कूड़ा- कचरा फैलाने की आजादी हमें किसने दी है, हम कूड़ा- कचरा को उसकी निर्धारित जगहों पर क्यों नहीं फेंकते हैं? मौका मिलते ही लोग जहां- तहां कूड़ा- कचरा फेंक देते हैं। जबकि, हमें यह पता होता है कि ऐसा करना गलत है। फिर भी हम अपनी आदतों से बाज नहीं आते, बल्कि इसे अपनी आजादी समझते हैं। क्या वाकई यही है हमारे लिए आजादी का मतलब?इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर चलो हम आज़ादी की संकीर्ण सोच से ऊपर उठकर इसके असली मायने तलाशें, समझें।
आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए आज हमें शपथ लेनी चाहिये कि हम कल के भारत के एक जिम्मेदार और शिक्षित नागरिक बनेंगे। हमें गंभीरता से अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिये और लक्ष्य प्राप्ति के लिये कड़ी मेहनत करनी चाहिये तथा सफलतापूर्वक इस लोकतांत्रित राष्ट्र को नेतृत्व प्रदान करना चाहिये।

दें सलामी इस तिरंगे को जिससे तेरी शान है।
सिर हमेशा ऊंचा रहे इसका, इसमें बसती हमारी जान है।।

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