गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी, जिला – टोंक (राज.) के तत्वावधान में भारत गौरव गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी के ससंघ सान्निध्य में श्री शांतिनाथ महामंडल विधान करने का सौभाग्य नवीन रजवास वाले जयपुर वालों ने प्राप्त किया। आज की अखण्ड शांतिधारा करने का सौभाग्य पारसचंद चैनपुरा वाले एवं सुरेश सांवलियाँ वालों को प्राप्त हुआ। तत्पश्चात गुरु माँ ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि भक्ति राग में नहीं तमें होती है। मीरा, सबरी, मैना सुंदरी आदि जैसी भक्ति करने से ही फल मिलता है। भक्ति का प्रथम सोपान है श्रद्धा । श्रद्धा पूर्वक भक्ति करने से पाप कर्म कटते है, असाध्य रोग दूर हो जाते हैं। श्रद्धा के बिना हमारी भक्ति लँगड़ी, लूली, अंधी होती है।