Saturday, September 21, 2024

शाहगढ़ में बुंदेलखंड के तीर्थ क्षेत्र एवं मंदिर कमेटियों का हुआ अधिवेशन

तीर्थ व मंदिरों का संरक्षण ही संस्कृति का संरक्षण है: मुनि विरंजन सागर

राजेश रागी/रत्नेश जैन. बकस्वाहा। निकटवर्ती नगर शाहगढ़ के बडा मंदिर परिसर में जैन संस्कृति, तीर्थ व मंदिर संरक्षण संवर्धन और संगठन के उद्देश्य को लेकर बुंदेलखंड स्तरीय तीर्थ क्षेत्र एवं मंदिर समितियों का वृहद अधिवेशन भारत गौरव गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के परम प्रभावक जनसंत उपाध्यक्ष श्री विरंजन सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में आयोजित किया गया। जिसमें उपाध्याय श्री ने समितियों के प्रतिनिधियों को मार्गदर्शन देकर तीर्थ व मंदिर संरक्षण और साधुओं की व्यवस्थाओं हेतु संकल्प कराया, वहीं सुविख्यात प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र.जय निशांत भैया जी सहित अनेक वक्ताओं ने तीर्थ मंदिर सुरक्षा, साधु सुरक्षा एवं व्यवस्था सेवा, मंदिर कमेटी का समाज के प्रति कर्तव्य आदि के संबंध में अपने सुझाव विचार व्यक्त किए। अधिवेशन में संबोधित करते हुए शाहगढ़ नगर में ही मंगल चातुर्मास कर रहे जनसंत उपाध्याय श्री विरंजन सागर जी महाराज ने कहा कि तीर्थ मंदिर हमारी संस्कृति की धरोहर है, जो आस्था व विश्वास के केंद्र हैं, जिस पर कुठाराघात हो रहा है, अपनी संस्कृति धरोहर को बचाए रखना हम सबका दायित्व है और इनके संरक्षण व संवर्धन कैसे हो यह विचारणीय विषय है। जब जब हमारी संस्कृति पर कुठाराघात हुआ है तो साधु संतों ने आगे आकर मार्ग प्रशस्त किया है, उन्होंने संस्कृति के संरक्षण के संबंध में कई उपाय बताएं। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने मंदिर मूर्ति तोड़े तो भक्तों ने आगे आकर मंदिर मूर्ति तैयार कर दिये, यही वजह है कि भूगर्भ से हमारे हजारों साल पुरानी प्रतिमाओं सहित मंदिर खुदाई में मिले हैं। वर्तमान में प्राचीनता को खत्म करके और अब नई प्रतिमाओं को रखना शुरू कर दिया है । प्राचीन मंदिरों में सोने चांदी का नहीं वीतरागता का काम होता था। अब हम दिखावा कर अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी चला रहे हैं और पाश्चात्य संस्कृति व भौतिक सुविधाओं को अंगीकार कर रहे हैं और अपनी संस्कृति के संरक्षण में रुचि नहीं ले रहे हैं। हमें शिक्षा स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र में आगे बढ़कर जनहितार्थ उपकार के केंद्र पुनरर्स्थापित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बड़ी कमेटियां गांव की छोटी कमेटियों, गांव के मंदिरों का संरक्षण सहयोग करें। साधुओं में भेदभाव नहीं करें, उनके आहार विहार और विश्राम की समुचित व्यवस्था करें। पंथबाद, संतबाद, जातिवाद की विचारधारा को खत्म करने का संकल्प करना चाहिए और संगठन का गठन कर समर्पित भाव से कार्य करने का आव्हान किया।

अधिवेशन में शताधिक कमेटियों के प्रतिनिधि हुए शामिल
इस अधिवेशन में बुंदेलखंड के 100 से अधिक तीर्थ व मंदिर कमेटियों के 500 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अधिवेशन में मुख्य वक्ता के रूप में प्रतिष्ठाचार्य ब्र.जय निशांत भैया जी ने कहा कि समस्या हमारी और समाधान भी हमारा है, हमें अपने क्षेत्र का संरक्षण स्वयं को करना होगा। एकल परिवार और गांव से शहर की ओर पलायन करना भी मंदिरों के संरक्षण में हमारी कमी बनती जा रही है। साधुओं के बिहार में श्रावकों का नहीं होना ही घटनाओं को बढ़ावा देना है। राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बढ़ायें और खुद को जैन लिखना शुरू करें, बच्चों को कान्वेंट स्कूल में नहीं, संस्कृति युक्त स्कूल में पढ़ाई कराएं तभी तो बच्चों में संस्कार आएंगे। इस अवसर पर अशोक पिडरुवा, वीरचंद, डॉ. राकेश मडावरा, राजेश रागी बकस्वाहा सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

नैनागिरि महोत्सव की पत्रिका का हुआ विमोचन
इस अवसर पर जैन तीर्थ नैनागिरि, सातपुर शाहगढ़ में होने वालें में पंचकल्याणक महोत्सव हेतु पूज्य उपाध्याय श्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया, साथ ही जैन तीर्थ नैनागिरि में 04 से 10 दिसम्बर तक आयोजित होने बाले पंचकल्याणक महोत्सव के फ्लेक्स व 23वें तीर्थंकर भगवान पारसनाथ के 2800वां निर्वाण महोत्सव की आमंत्रण पत्रिका का विमोचन कराया गया। अधिवेशन मे उपस्थित सभी प्रतिनिधियों को शाहगढ़ की मंदिर व चातुर्मास समिति ने सम्मानित कर आभार व्यक्त किया।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article