Sunday, September 22, 2024

हम सब लोग भावनाओ के माध्यम से अपने को बनाये: आचार्य श्री आर्जव सागर जी

आर्यवेदिक चिकित्सा संगोष्ठी में पढ़े जायेंगे आलेख: विजय धुर्रा

अशोक नगर। हम सब लोग भावनाओं के माध्यम से अपने को पावन बनाये ध्यान के लिए आवश्यक उपाय किए बिना मन विचलित हो जाता है। प्रतिकूलता और बाधाओ के बीच ध्यान करना बहुत कठिन होता है। प्रतिकूलता में भी अपने मन को स्थिर करना कठिन अवश्य है लेकिन असंभव नहीं है। जब आप अपने चित्त की चंचलता को धीरे-धीरे रोकते चले जाते हैं तो तमाम तरह की बाधाओ में भी ध्यान की स्थिति वन‌ सकती है हमने कर्म की स्थिति पर बहुत गहन विचार किया है जिन्हें समीचीन धर्म के स्वरूप का ज्ञान नहीं होता उन्हें धर्म की मूल भावना समझ में नहीं आ सकती घर दुकान में रहते हुए धर्म ध्यान नहीं हो सकता करते हुए राग भजोगे तो पुण्य की प्राप्ति नहीं होगी वीतराग होगा तो पुण्य मिलेगा नो ग्रह क्या है ये भी भवनत्रिक देव हैं यहां से नो सात सौ नव्वे योजन की दूरी पर रहते हैं ये ऊर्धलोक के देव है जो विमानो में निवास करते हैं उक्त आश्य केउद्गार सुभाष गंज मैदान में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्रीआर्जवसागर जी महाराज ने व्यक्त किए।
तेरह अगस्त को आर्युवेदिक चिकित्सकों आयेगा दल
धर्म सभा में मध्य प्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि आचार्य श्री आर्जवसागरजी महाराज द्वारा रचित तीर्थोदय काव्य के आहार विधिक विषय पर तेरह और चौदह अगस्त को एक राष्ट्रीय आर्युवेद चिकित्सकों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें दिल्ली से सुप्रसिद्ध नियोरो सर्जन डॉ डी सी जैन भोपाल से डा अरविंद जी पूर्णायू आर्यवेदिक संस्थान जवलपुर से डा सौरव जैन डॉ मनोज जैन सहित अन्य चिकित्सको दल आ रहा है जो तीर्थोदय काव्य संग्रह आर्युवेद चिकित्सा संगोष्ठी में अपने विशेष आलेखो का वाचन करने के साथ ही विशेष शतो के उपरांत आम जनों को भी देखेंगे और चिकित्सा परामर्श देंगे दो दिविसिये संगोष्ठी में में छः सत्रों के साथ ही दो विशेष सत्र दोपहर वारह वजे से ढाई वजे तक होंगे जिसमें आप रोगी चिकित्सकों से सलाह लें सकेंगे पंचायत कमेटी के अध्यक्ष राकेश कासंल महामंत्री राकेश अमरोद कोषाध्यक्ष सुनील अखाई सहित पंचायत कमेटी ने सभी तैयारियां को बैठकर अंतिम रूप दिया इसके पहले धर्म सभा में दीप प्रज्जवलित कर आचार्य श्री की पूजन का सौभाग्य पंचायत व ट्रस्ट कमेटी ने प्राप्त किया।
सम्यक के प्रभाव से कोई विकलांग व दरिद्री नहीं होता
उन्होंने कहाकि आठ दुर्गतियो से वचने के लिए सम्यक की आवश्यकता होती है सम्यक के प्रभाव से कोई दरिद्र नहीं होता विकलांग और तिर्यच नहीं होता मात्र अपनी श्रद्धा को सही करना है अपनी श्रद्धा को मजबूत करना है इसी से आपकी ब्रत नियम संयम लेने की भावना वनती है मिथ्यात्व की वीमारी यह जीव को अधोलोक की ओर ले जाती है नव ग्रह भगवान के चक्कर लगाते हैं और हम उनके चक्कर में पड़ गए तो आप संसार के चक्कर में ही पड़े रहेंगे।
गुण धर्म का पालन करना चाहिए
उन्होंने कहा कि गुणधर्म को पालन करना चाहिए एक दुसरे का उपकार करते रहना चाहिए इस वात को कहा गया है यहां जीव गुण दोषों का विचार ही नहीं करता और ये अज्ञानी व्यक्ति संसार में दुखी होता रहता है वस्तु सभी है उन्हें अपना उपयोग तो मानना है उन्हें पूजना नहीं है हम गुजरात में एक स्थान पर विहार कर रहे थे दोपहर में जंगल में वैठे थे वहां एक सर्प निकल आया वह एक ही स्थान पर पत्तों के वीच घूम रहा था कुछ लोग अगरवत्ती आरती ले आये देखते हैं कि वह एक मरी गिलहरी पत्तों के वीच पड़ी थी कुछ देर में वह सर्प उस मरी गिलहरी को मूंह में दवाकर पत्तों से वाहर आया तो सब लोग ने देखा कि ये क्या कर रहा है और चले गए ऐसे कुछ भी नहीं पूजना और किसी जीव को मरना भी नहीं उनको पूजना नहीं कुछ लोग उनकी पूजा करने लगते हैं।

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