जयपुर। व्यापार मंडल मंदिर श्री लक्ष्मीनारायण, बाई जी के बैनर तले बड़ी चैपड़ स्थित बड़ी चोपड़ स्थित मंदिर श्री लक्ष्मीनारायण बाई में चल रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव में बुधवार को व्यासपीठ से वृंदावन नंदगांव के परम पूज्य श्याम सुंदर गोस्वामी जी ने कहा कि जीवन में कितना भी धन ऐश्वयं की सम्पन्नता हो लेकिन यदि मन में शान्ति नहीं है तो वह व्यक्ति कभी भी सुखी नहीं रह सकता। वहीं जिसके पास धन की कमी भले ही हों सुख सुविधाओं की कमी हो परन्तु उसका मन यदि शान्त है तो वह व्यक्ति वास्तव में परम सुखी है। यह हमेशा मानसिक असंतुलन से दूर रहेगा। कथा प्रसंग मे परम भक्त सुदामा चरित्र पर प्रकाश डालते हुए गोस्वामीजी ने कहा कि श्रीसुदामा जी के जीवन में धन की कमी थी, निर्धनता थी लेकिन वह स्वयं शान्त ही नहीं परम शान्त थे। इसलिए सुदामा जी हमेशा सुखी जीवन जी रहे थे,क्योंकि उनके पास ब्रह्म (प्रभुनाम) रूपी धन था। धन की तो उनके जीवन में न्यूनता थी परन्तु नाम धन की पूर्णता थी। हमेशा भाव से ओत प्रोत होकर प्रभु नाम में लीन रहते थे। उनके घर में वस्त्र आभूषण तो दूर अन्न का एक कण भी नहीं था। जिसे लेकर वो प्रभु श्री द्वारिकाधीश के पास जा सकें,परन्तु सुदामा जी की धर्म पत्नी सुशीला के मन में इच्छा थी, मन में बहुत बड़ी भावना थी कि हमारे पति भगवान श्री द्वारिकाधीश जी के पास खाली हाथ न जाए। सुशीला जी चार घर गई और चार मुट्ठी चावल मांगकर लाई और वही चार मुट्ठी चावल को लेकर श्री सुदामा जी प्रभु श्री द्वारिका धीश जी के पास गए। और प्रभु ने उन चावलों का भोग बड़े ही भाव के साथ लगाया। उन भाव भक्ति चावलों का भोग लगाकर प्रभु ने यही कहा कि हमारा भक्त हमें भाव से पत्र पुष्प, फल अथवा जल ही अर्पण करता है, तो में उसे बड़े ही आदर के साथ स्वाकार करता हूँ। प्रभु ने चावल ग्रहण कर श्री सुदामा जी को अपार सम्पत्ति प्रदान कर दी। उन्होंने आगे कहा कि इस पावन सुदामा प्रसंग पर सार तत्व बताते हुए समझाया कि व्यक्ति अपना मूल्य समझे और विश्वास करे कि हम संसार के सबसे महत्व पूर्ण व्यक्ति है। तो वह हमेशा कार्यशील बना रहेगा। क्योंकि समाज में सम्मान अमीरी से नहीं इमानदारी और सज्जनता से प्राप्त होता है। मंत्री महेन्द्र शर्मा ने बताया कि महोत्सव के तहत गुरुवार को सुबह 10 हवन के साथ कथा की पूर्णाहुति होगी। कथा रोजाना दोपहर 2 बजे से साम 6 बजे तक होगी।