भीलवाड़ा। मनुष्य की तृष्णा और इच्छाओं का कौई अंत नही है। शनिवार को अहिंसा भवन शास्त्री नगर मे साध्वी प्रितीसुधा ने सैकड़ों श्रध्दालुओं को सम्बोधित करतें हुए कहा कि मनुष्य संसार मे दुःखी है तो अपनी तृष्णा और लालसाओं के कारण। तृष्णा को मनुष्य जीवन भर भी पुरा करे तो वह समाप्त नही होने वाली है दुखः का मूल कारण भी मनुष्य की तृष्णा ही है। जब तक मनुष्य का मन को इंद्रियों के भोगों और विषय विकारों से पूरी तृप्ति प्राप्त नहीं हो जाता है,तब तक ये मन कभी भी सांसारिक वस्तुओं की इच्छाओं व तृष्णा से मुक्त नहीं हो सकता है। अपनी इच्छाओं और तृष्णा पर जो व्यक्ति अंकुश लगा लेगा वह संसार मे सुखी बन जाएगा। इन्द्रियो को वश मे करने वाला पुरूष ही अपनी तृष्णा और लालसाओं पर कन्ट्रोल करके सुखो को प्राप्त कर पाएगा। साध्वी मधूसुधा ने कहा कि मनुष्य की आकांक्षाएं व इच्छाएं ऐसी लंबी नदी सरीखी हैं,जिसके ओर-छोर का कोई पता नहीं लगा सकता है। मनुष्य कि इन्द्रियों कि शक्ति क्षीण हो जाती है। परन्तु उसी तृष्णा खत्म होने वाली नहीं है। सभी दुःखो की जड़ है, तो वह तृष्णा ही है।अगर मनुष्य मन को साध ले तो इच्छा ओं औंर तृष्णा पर विजय प्राप्त कर सकता हैं। धर्मसभा में शहर के कहीं उपनगरों के भाई बहनों के साथ अहिंसा भवन के अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह बाबेल, अशोक पोखरना, हेमन्त आंचलिया, कुशल सिंह बूलिया, रिखबचन्द पीपाड़ा, प्रेमचन्द कोठारी, सुशील चपलोत, राजकुमार जैन, श्रीपाल तातेड़, प्रसन्नचन्द कटारिया, पारसमल बाबेल एवं चंदनबाला महिला मंडल की रजनी सिंघवी, मंजू बाफना, वंदना लोढा, सरोज मेहता, उमा आंचलिया आदि सभी की उपस्थिति रही। निलिष्का जैन बताया कि इसदौरान धार्मिक प्रतियोगिता मे भाग लेने वाली बहनों को साध्वी मंडल के सानिध्य मे पारितोषिक दिये गये।
प्रवक्ता निलिष्का जैन
अहिंसा भवन शास्त्री नगर भीलवाड़ा