भक्तिभाव से कोई काम करो तो चमत्कार स्वतः हो जाते हैं
ब्यावर। बिरद भवन में गतिमान चातुर्मासिक प्रवचन में महासती धैर्यप्रभा द्वारा प्रतिदिन भक्तामर स्त्रोत की महिमा का वाचन हो रहा हैं। महासती ने दुर्योधन का दृष्टांत देकर उन्हेंबताया कि प्रत्येक व्यक्ति में गुण और अवगुण दोनों होते है। यह हम पर होता है कि हम उसमें गुण देखते है या अवगुण। हम बहुत सारे दर्शन इस दुनिया में देखते हैं जहाँ भक्त भी होता है और भगवान भी होते हैं, पर एक जैन दर्शन है जो भक्त को भगवान बनने का मार्ग बतलाता हैं। महासती द्वारा प्रतिदिन कुछ भक्तामर की गाथाओं को क्रमागत रूप से महिमा और उनसे जुड़े हुए दृष्टांत का वर्णन बताया जाता हैं। रविवार को श्री जैन दिवाकर बहु मण्डल और महिला मंडल के द्वारा भक्तामर रचना से जुड़े कथानक पर नाटिका का मंचन किया गया। भक्तामर रचना करने वाले आचार्य मानतुंग को राजा द्वारा कैद किये जाने और उन्हें 52 तालों से जकड़ने, आचार्य द्वारा आदिनाथ की पुर्ण भाव के साथ भक्ति करने का परिणाम स्वरूप सभी ताले स्वतः टूट गये। इस विलक्षण नाटिका को देखकर उपस्थित धर्मसभा में सभी आचार्य मानतुंग के जय जयकार करने लगे। सभी ने नाटक का मंचन करने वाली सभी सदस्याओं की भूरी भूरी प्रशंसा की। नाटिका में शिप्रा मोदी, धीरज मुणोत, मधु मकाना, शालिनी गांधी, रंजना बाबेल, सुनीता सिंघवी एवं रुचि गादीयां ने अपने अदभुत अभिनय और रचना कोठारी, बरखा छल्लानी, उषा मोदी एवं रेखा गुगलिया ने भजन प्रस्तुति के साथ नाटिका को अत्यंत रोचक बना दिया। महासतियाँ के चातुर्मास में छोटी बड़ी कई तपस्याएं गतिमान हैं। महासतियाँ के दर्शनार्थ प्रतिदिन बाहर से भी अनेक श्रावक श्राविका पधार रहे हैं। दिवाकर नवयुवक मंडल द्वारा गुरुदेव धर्ममुनि जी म.सा. के दर्शनार्थ ब्यावर से पानीपत एवं दिल्ली की त्रिदिवसीय यात्रा का भी आयोजन किया जा रहा हैं।