जयपुर। व्यापार मंडल मंदिर श्री लक्ष्मीनारायण,बाई जी के बैनर तले बड़ी चोपड़ स्थित मंदिर श्री लक्ष्मीनारायण बाई में चल रही श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव के दूसरे दिन व्यास पीठ से वृंदावन नंदगांव के परम पूज्य श्याम सुंदर गोस्वामी जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत् कथा श्रवण करने मात्र से व्यक्ति की भगवान में तन्मयता हो जाती है। धर्म जगत में जितने भी योग, यज्ञ, तप, अनुष्ठान आदि किए जाते है उन सब का एक ही लक्ष्य होता है कि हमारी भक्ति भगवान में लगी रहे मैं अहर्निश प्रतिक्षण प्रभु प्रेम में ही समाया रहूं। संसार के प्रत्येक कण में हमें मात्र अपने प्रभु का ही दर्शन हो। श्रीमद्भागवत् कथा श्रवण मात्र से भक्त के हृदय में ऐसी भावनाएं समाहित हो जाते हैं और मन, वाणी और कर्म से प्रभु में लीन हो जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि व्यासजी ने श्रीमद्भागवत् के प्रारंभ में सत्य की वन्दना की गई है, क्योंकि सत्य व्यापक होता है सत्य सर्वत्र होता है और सत्य की चाह सबको होती है। पिता अपने पुत्र से सत्य बोलने की अपेक्षा रखता है भाई भाई से सत्य पर चलने की चेष्टा करता है मित्र मित्र से सत्यता निभाने की कामना रखता है यहां तक की चोरी करने वाले चोर भी आपस में सत्यता बरतने की अपेक्षा रखते है, इसलिए प्रारंभ में श्रीवेदव्यास जी ने सत्य की वंदना के द्वारा मंगलाचरण किया है और भागवत कथा का विश्राम ही सत्य की वन्दना के द्वारा ही किया है।
उन्होंने आगे कहा कि सत्यं परं धीमहि क्योंकि सत्य ही कृष्ण है सत्य ही प्रभु श्रीराम है सत्य ही शिव एवं सत्य ही मां दुर्गा है अतः कथा श्रवण करने वाला सत्य को अपनाता है सत्य में ही रम जाता है यानि सत्य रूप परमात्मा में विशेष तन्यमता आ जाती है माना जीवन का सर्वश्रेष्ठ परम धर्म यही है कि जीवन में अपने इष्ट के प्रति प्रगाढ़ भक्ति हो जाए। श्रीमद्भागवत में निष्कपट धर्म का वर्णन किया गया है जो व्यक्ति निष्कपट हो, निर्मत्सर हो उसी व्यक्ति की कथा कहने एवं कथा श्रवण करने का अधिकार है। उन्होंने आगे कहा कि उन्होने बताया कि श्रीमद्भागवत् कथा श्रवण करने का संकल्प लेने मात्र से अनिरूद्ध के पितामह श्रीकृष्ण भक्त के हृदय में आकर के अवरुद्ध हो जाते है।
इस मौके पर चंदाराम गुर्जर हनुमान सोनी, दिनेश शर्मा, जय कुमार सोनी, दिलीप अग्रवाल, प्रवीण अग्रवाल, बाबू लाल सोनी व मनीष नागौरी सहित अन्य लोग मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि महोत्सव के तहत शनिवार को सती चरित्र, नृसिंह अवतार, श्री मोहिनी व वामन प्राकट्य की कथा सुनाएंगे। 6 को गजेन्द्र मोक्ष, श्री राम जन्म के बाद भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव नंदोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। महोत्सव के तहत 7 को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला, कालिया मर्दन के बाद गिर्राज पूजन व 56 भोग की झांकी सजाई जाएगी। महोत्सव के तहत 8 को श्री रास पंचाध्यायी, उद्धव गोपी संवाद, कंस उद्धार व रूकमणि विवाह के बाद अंतिम दिन 9 को सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष व भागवत पूजन के साथ कथा की पूर्णाहुति होगी। अंतिम दिन 10 को सुबह 10 हवन के साथ कथा की पूर्णाहुति होगी। कथा रोजाना दोपहर 2 बजे से साम 6 बजे तक होगी।