गुंशी, निवाई। प. पू. भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 विज्ञाश्री माताजी के ससंघ सान्निध्य में श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी, तह. निवाई, जिला- टोंक (राज.) में धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला बरकरार है। अनुष्ठानों की श्रृंखला में आज का शांति विधान करने का सौभाग्य राजीव जयपुर वालों ने प्राप्त किया। विश्व शांति हेतु शांतिनाथ भगवान की अखण्ड शांतिधारा करने का सौभाग्य राजेन्द्र गंगवाल देवली, महेश मोटुका वाले, प्रदीप देवेंद्र नगर वालों ने प्राप्त किया। प्रवचन में श्रद्धालुओं को संबोधन देते हुए पूज्य माताजी ने कहा कि भक्ति रूपी सोपान ही मुक्ति रूपी मंजिल तक पहुंचती है। गुरु भक्ति से अज्ञानी भी ज्ञानी बन जाता है। पामर भी परमात्मा बन जाता है। जैसे पानी की बूंद का कोई मूल्य नहीं लेकिन सीप शरण में वह मोती बनते हुए अनमोल हो जाती है। वैसे ही संसार मे पतित जीव गुरु शरण स्वीकारता है तो गुरु के अनन्त उपकार उसके जीवन को, उसकी आत्मा को मोती सा अनमोल बना देते हैं।