गुंसी, निवाई। प. पू. राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 108 विरागसागर जी महामुनिराज की सुविज्ञ शिष्या प. पू. भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 विज्ञाश्री माताजी के ससंघ सान्निध्य में श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी तह. निवाई जिला-टोंक (राज.) में 51 वें स्वर्णिम जयंती महोत्सव के समापन के शुभ अवसर पर 51 जोड़ों के साथ श्री 1008 शांतिनाथ महामंडल विधान सानन्द सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर सहस्रकूट विज्ञातीर्थ पर यात्रियों की सुविधा हेतु भोजनामृत भोजनालय का टोंक जिला प्रमुख सरोज बंसल के कर कमलों द्वारा शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात सेठ जगन्नाथ कपूरचंद जैन मेमोरियल ट्रस्ट झिलाय द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु 100 वृक्षारोपण किये गए। गुरु भक्तों ने गुरु अवतरण दिवस पर गुरु भक्ति हेतु आहार – दान में बढ़ – चढ़कर भाग लिया। इस विधान के सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य ओमप्रकाश ललवाड़ी वाले निवाई, कुबेर इंद्र जितेंद्र जयपुर, ईशान इंद्र बृजेन्द्र लालकोठी जयपुर, सानत इंद्र लालचंद मालपुरा वाले, माहेंद्र इंद्र पदमचंद मित्रपुरा वालों ने प्राप्त किया। गुरु माँ के पाद – प्रक्षालन एवं पुरानी पिच्छिका प्राप्त करने का सौभाग्य नितिन किशनगढ़ वालों ने प्राप्त किया। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष अनिल बनेठा ने गुरु माँ को नई पिच्छिका भेंट कर स्वयं को गौरवान्वित किया एवं मंत्री राजेन्द्र बगड़ी वालों ने इस अवसर पर कमण्डल भेंट कर संयम की आराधना की। ज्ञानोपकरण शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य महावीर प्रसाद कठमाणा वालों ने प्राप्त किया। गुरु माँ के कर कमलों में वस्त्र भेंट करने का सौभाग्य राजेन्द्र बिलाला चाकसू वालों ने प्राप्त किया। स्वर्णिम जयंती के पावन अवसर पर गुरु माँ की अष्ट द्रव्यों से पूजन की गई। गुरु माँ के चरणों की भक्ति करने हेतु जयपुर, कोटा, मित्रपुरा, टोडारायसिंह, सरवाड़, किशनगढ़, निवाई, चाकसू के लोगों का मेला लगा था। गुरु माँ ने प्रवचन देते हुए कहा कि बहती हुई नदी को रुकना पड़ेगा, जलते दीपक को बुझना पड़ेगा, कौन है अजन्मा यहॉं पर, जो जन्मा है उसे मरना ही पड़ेगा। गुरु भक्ति के लिए गुरु भक्तों का यह प्लस का दिन है। पर 50 साल बीत गये, हाथ से निकल गये इसलिए माईनस का दिन है। इस अवतरण पर ऐसा अवतरण हो जाये कि जन्म-मरण की श्रृंखला ही खत्म हो जाये।