निवाई। सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान मे बुधवार को बिचला जैन मंदिर के सुपाश्वनाथ मंदिर मे मुनि शुद्ध सागर जी महाराज के सानिध्य मे श्रावण माह के चलते विशेष वृहद शांतिधारा आयोजित की गई। चातुर्मास कमेटी के प्रवत्ता राकेश संघी ने बताया कि शांतिधारा से पूर्व महेन्द्र संघी त्रिलोक पाण्डया पुनित संघी दिनेश जैन द्धारा चारो दिशाओ से भगवान सुपार्श्वनाथ का कलशाभिषेक किया गया तत्पश्चात विश्व मे शांति के लिए मुनि शुद्ध सागर महाराज के श्री मुख से शांतिधारा करवाई गई।बाद मे मुलनायक सुपार्श्वनाथ की संगीतमय विशेष पूजा अर्चना हुई। इस अवसर पर चर्या शिरोमणी आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि शुद्ध सागर जी महाराज ने शांतिनाथ भवन मे धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि शांति के बिना केवलज्ञान नही हो सकता।तीथ॔कर से बड़ा दुनिया में कोई नहीं हो सकता। मुनि श्री ने कहा क्रोध लोभ मान चिंता चिता समान है। इसलिए चिंता नहीं चिंतन करो तब शांति मिलेगी।इस मनुष्य जीवन मे सन्तोषी जीव परम सुखी है। मुनि शुद्ध सागर जी महाराज ने जीवन का सूत्र बताते हुए कहा कि खुद शांति से रहे ओर दूसरों को भी शांति से रहने दो।उन्होंने कहा कि तीन रत्नों की जहां आराधना होती है वह जिनशासन है।जैन धर्म का सिद्धान्त अनेकान्त व स्यादवाद है।जिसने रत्नत्रय की आराधना की वह मोक्ष चले गए। उन्होने कहा कि जिसने जन्म लिया है उसका मरण निश्चित है।इसलिए अपने अन्दर की आत्मा को पहचान कर अपना मरण सुधारले।संघी ने बताया कि प्रवचन के बाद सकल दिगम्बर जैन समाज निवाई द्धारा आचार्य गुरूवर विशुद्ध सागर महाराज व मुनि शुद्ध सागर जी महाराज का संगीतमय जयकारो के साथ अर्घ चढाया गया। प्रवचन से पूर्व मंगलाचरण नवरत्न टौग्या ने किया।आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के चित्र के समक्ष दीपप्रजवलन शिखर चन्द काला पदम चन्द पराणा त्रिलोक रजवास द्धारा किया गया।मंच संचालन ज्ञान चन्द सौगानी ने किया।