सुनिल चपलोत/चैन्नाई। मनुष्य शरीर को संवारता है, आत्मा को नही। बुधवार साहूकार पेठ के मरूधर केसरी दरबार मे महासाध्वी धर्मप्रभा ने श्रध्दालुओं को धर्म उपदेश देतें हुए कहा कि मानव जीवन बार -बार नही मिलता है। लेकिन मनुष्य खाना-पीना ओर दौलत कमाने को ही जिंदगी का सुख समझकर आत्मा के सुख को भुल गया है। इंसान मेहनत करता है,परन्तु आत्मा के लिये नही करता है। मनुष्य के पास समय कम है। लेकिन मनुष्य कि इच्छाएं ओर लालसाएं कम नही होती है बल्कि बढ़ती ही जाती है,इस संसार मे अब ऐसा कौई प्राणी पैदा नही हुआ जो मरने के बाद भी अपने साथ धन दौलत शोहरत को लेकर गया हो। इंसान दुनिया मे खाली हांथ आया था ओर खाली हांथ ही संसार से जाने वाला है। समय रहते मनुष्य समय को साध लेगा तो आत्मा को संवार सकता है । वरना अंत समय मे उसे पछताना पड़ेगा। क्योंकि मनुष्य भव बार – बार नही मिलने वाला है। आत्मा को सुख तभी मिल सकता है जब मनुष्य आत्मा को पहचान कर परमार्थ करेगा तभी आत्मा का उत्थान संसार से करवा सकता है। मनुष्य काया ओर माया के चक्कर मे अपनी इस आत्मा को भूल गया है। सांसारिक वस्तुओं से आत्मा को सुख की प्राप्ति नही होने वाली है। व्यक्ति कि पहचान नाम और धन दौलत से नही होती है। मनुष्य कि जब तक सांसे चल रही है तब तक उसके सगे संबंधी नाम से पहचानते है। वरना मरने बाद तो मुर्दे के नाम से बुलाते है। अकेले ही आया था अकेला ही जाएगा। श्मशान तक छोड़ने तक ही सगे संबंधियों का रिश्ता रखते है। आत्मा से जुड़े हुए रहोगे तभी पहचान बना पाओगे। वरना इस संसार मे भटक जाओगे। संसार मे असंख्य व्यक्ति जन्म लेते है लेकिन दुनिया उन्हें ही याद करती है जो संसार मे कुछ करके जाते है। इसदौरान धर्मसभा में उपवास आयंबिल ओर अनेक बहनों ने एकासन व्रत के साध्वी धर्मप्रभा से प्रत्याख्यान लिए। राजस्थान,महाराष्ट्र आदि प्रांतों के साथ चैन्नाई के उपनगरों से पधारे अतिथीयो का श्री एस.एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी, सज्जनराज सुराणा,सुरेश डूगरवाल, हस्ती मल खटोड़, बादलचन्द कोठारी, जितेन्द्र भंडारी, तारेश बेताला, शम्भूसिंह कावड़िया, संजय खाबिया, अशोक सिसोदिया, ज्ञानचन्द चौरड़िया आदि सभी ने अतिथीयो का सम्मान किया।