सुनिल चपलोत/चैन्नाई। मनुष्य की सोच सम्यक ओर दष्टि सम्यक हो तो आत्मा मोक्ष प्राप्त करवा सकता है। मंगलवार साहूकार पेठ के मरूधर केसरी दरबार मे साध्वी धर्मप्रभा ने श्रध्दालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि जो आत्मा आत्मा मे लीन है वही वस्तु त सम्यक दष्टि है। हमारी दष्टि मे परिवर्तन हो जाए तो जागरण हो जाएगा। जब जागरण हो जाता है तो हमे सम्यक दष्टि प्राप्त हो जाएगी। एक सम्यक दष्टि जीव कितने ही व्यक्तियो कि जिंदगी को बदल देता है । जिन जीवो का संसार अर्थ पुद्गल परावर्तन से कम हो किंतु राग द्वेष रूप ग्रंथि का वेतन नहीं हुआ हो तो वह जीव सम्यक दर्शन नहीं प्राप्त कर सकते हैं । क्योंकि राग द्वेष की र्तीवता सम्यक की घातक है जिस समय में सहज स्वभाव से उपशम भाव पैदा होते है तब मोह आदि दोष दूर होते है। ओर सम्यकत्व प्रकट होता है। सम्यक दृष्टि जीव वाद विवाद पर निंदा ओर राग देवेश नहीं करता, शांत दांत और गुणवंत होता है जैसे कीमती औषधि उपस्थित सेवंथ करने वाले लाभ नहीं देती है उसी प्रकार ऊंची भक्ति साधना भी सम्यक्त्व के अभाव मे फल नहीं देती है। सम्यक दृष्टि जीव गुणानुरागी होता है अर्थात दूसरों के अवगुण नहीं देखता है र्सिफ अपने ही गुणों देखता है। साध्वी स्नेहप्रभा ने धर्मसभा में कहा कि जब मनुष्य के अज्ञान का अंधकार दूर नही होगा तब जीवन मे ज्ञान का प्रकाश नहीं होने वाला है। जब ज्ञान का प्रकाश जीवन हो जाएगा तो व्यक्ति अज्ञान मे नहीं भटक पाएगा। और तुच्छ वस्तुओं की प्राप्ति केलिए अपने इस भव को नही बिगड़ने देगा। इसदौरान अनेक बहनों ने उपवास आयंबिल एकासन व्रत के साध्वी धर्मप्रभा से प्रत्याख्यान लिए,इन सभी तपस्वियाओ की श्री एस.एस.जैन संघ अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी,सज्जनराज सुराणा,सुरेश चन्द डूगरवाल, जितेन्द्र भंडारी,हस्तीमल खटोड़,बादल चन्द कोठारी,शम्भूसिंह कावड़िया, अशोक सिसोदिया, सुभाष काकलिया.भरत नाहर आदि सभी ने तप अनूमोदना की ओर उपनगरों से पधारे अतिथीयो को शोलमाला पहनाकर स्वागत किया।