जयपुर। राजधानी के दक्षिण भाग स्थित प्रताप नगर के सेक्टर 8 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर परिसर में 29 वर्षों में पहली बार चातुर्मास कर रहे दिगंबर जैनाचार्य, जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणा स्त्रोत आचार्य सौरभ सागर महाराज के दर्शन, मार्गदर्शन लेने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक, विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शक एवं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र व्यास के मुख्य आमंत्रित सदस्य दिनेश चंद्र, विश्व हिंदू परिषद् केंद्रीय सहमंत्री हरिशंकर, जयपुर प्रांत संगठन मंत्री राधेश्याम एवं जयपुर प्रांत सहमंत्री विवेक दिवाकर सहित विभिन्न पदाधिकारियों पधारे और लगभग डेढ़ – दो घंटे तक आचार्य श्री से वार्तालाप कर मार्गदर्शन व आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान श्री पुष्प वर्षायोग समिति गौरवाध्यक्ष राजीव जैन गाजियाबाद वाले, महामंत्री महेंद्र जैन पचाला, कार्याध्यक्ष दुर्गालाल जैन नेताजी, मुख्य समन्वयक गजेंद्र बड़जात्या, महावीर गोयल, प्रमोद जैन बावड़ी वाले, प्रचार संयोजक सुनील साखुनिया एवं चेतन जैन निमोडिया, बाबूलाल जैन इटुंदा, नरेंद्र जैन आवा वाले आदि सहित विभिन्न पदाधिकारियों ने सभी अतिथियों को तिलक लगाकर, साफा, दुपट्टा, माला पहनाकर स्वागत – सम्मान किया।
” नशा ” विनाश का सबसे प्रमुख कारण, नशा करना है तो ईश्वर, इंसानित धर्म का नशा करें: आचार्य सौरभ सागर
इससे पूर्व प्रातः 8.30 बजे प्रताप नगर जैन मंदिर के संत भवन में आचार्य सौरभ सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि – “नशा, नाश, विनाश जीवन में यह एक दूसरे के पूरक है, जिसने नशे को धारण कर लिया उसका नाश और विनाश निश्चित है। यह वो मीठा जहर है जो शुरू में तो मीठा लगता है मुंह पर चिपक जाता है किंतु जब जिसकी मिठास डाईबीटीज की तरह अपने पांव पसारने लगती है तो जहर बन जाती है और नशे को धारण करने वाले प्राणी का ना केवल नाश कर देती है बल्कि उस प्राणी का विनाश तक कर देती है। जिसके कारण अच्छे से अच्छे और बड़े से बड़े परिवार तबाह हो जाते है। अगर इंसान को नशा करना है तो ईश्वर की आराधना का करे, जरूरतमंद लोगों की मदद करने का करें, इंसानियत दिखाने का करे किंतु कभी शराब जैसी वस्तुओं का नशा ना करें।